विचारणीय

गीता कहती है - संशयात्मा विनश्यति अर्थात् सदा संशय करनेवाला, दूसरों को संदेह की दृष्टि देखनेवाला, अविश्वासी एवं अनियंत्रित व्यक्ति क्षय को प्राप्त होता है।

गुरुवार, 24 दिसंबर 2015

वृद्धावस्था और इंटरनेट Oldage and Internet

साधारणतय वृद्धावस्था को किसी भी जीव के जीवन का अंतिम पढ़ाव भी कह सकते हैं। परंतु इसका ये कतई मतलब नहीं कि वृद्धावस्था को हम सारे जीव जीना ही छोड़ दे। यह जीवन की सच्चाई है जिसके लिए हर एक को तैयार रहने की जरुरत है। इस सच्चाई से कोई अपना मुँह नहीं मोड़ सकता है।

किसी भी देश के लिए वृद्धावस्था कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। परंतु वृद्धावस्था की अपनी कुछ समस्याएँ भी है। वृद्धावस्था में लोग थोड़े चिड़चिड़े और जिद्दी हो जाते हैं। इस पढ़ाव में उन्हें अपनों के साथ की बहुत जरूरत पड़ती है। वहीँ हमारे आज का सभ्य समाज वृद्ध लोगों को नजरअंदाज करने में तनिक भी कंजूसी नहीं दिखाता है और उनसे कन्नी काटने लगते हैं। दो पल उनसे बात करने और उनके साथ गुजारने में जैसे पाप मानते हो। वे भूल जाते हैं कि हर किसी को एक दिन इस अवस्था से गुजरना पड़ेगा।

जरूर पढ़ें - आयुर्वेद का चमत्कार - The Magic of Ayurveda

परंतु इसे आप ईश्वर का वरदान समझे या विज्ञान का कमाल जो इन बुजुर्ग लोगों के जीवन में खालीपन को कुछ हद तक भर रहा है।

इंटरनेट ने दुनियाभर में संचार प्रक्रिया में क्रांति ला दी है। शायद ही अब ऐसा कोई बन्दा हो जिसने इंटरनेट के बारे में सुन न रखा हो अथवा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इंटरनेट से लाभान्वित न होते हो।

इंटरनेट पर घर बैठे शॉपिंग, बैंकिंग, ऑनलाइन लर्निंग एंड टीचिंग इत्यादि जैसे काम कर सकते हैं। इसके अलावा अगर आपको खेलने का शौक हो तो कहीं सारे गेम्स भी आप टाइम पास के लिए खेल सकते हैं।

कहीं सारे देशों में वहाँ की सरकारी तंत्र वृद्ध व्यक्तियों को मोबाइल, लैपटॉप व टेबलेट बाँट रहे हैं ताकि उनका अकेलापन कुछ कम हो और अन्य लोगों से घर बैठे जुड़ सके। ऊरुग्वे की सरकार ने हाल ही में 30,000 टेबलेट बुजुर्गों को बाँटे और वहाँ के सेवा निर्वृत (रिटायर्ड) बुजुर्गों ने भी बड़े उत्साह से जमकर ट्रेनिंग क्लासों का लुत्फ़ उठाया।

अगर आधुनिक तकनीक की बात करें तो इसका सही इस्तेमाल लोगों को करीब लाने का एक आसान जरिया भी बनता जा रहा है। जहाँ एक ओर फेसबुक, व्हाट्सऐप पर दिन-प्रतिदिन लाखों-करोड़ों लोगों का एक प्रकार से मकड़जाल बुना जा रहा है वहीँ बुजुर्ग लोग अपने अकेलेपन और सुनसान दुनिया से बाहर निकलकर औरों के साथ कुछ और पल बिता सकते हैं।

लेकिन किस हद तक यह बुजुर्ग लोगों के लिये फायदेमंद साबित होगा ये उन बुजुर्ग लोगों की प्रतिक्रिया पर भी निर्भर करता है।

मेरा लोगों से निवेदन है कि आप अपने घरों पर बुजुर्गों की निंदा और अवहेलना न करें। इस शुभ कार्य की शुरुआत अपने घर से ही करनी चाहिए ताकि फिर किसी बुजुर्ग व्यक्ति को अनाथालय या वृद्धाश्रम की राह न पकड़ना पड़े। परंतु आपसे निवेदन है कि इस विचार का शुभारम्भ करने से पहले अपना मुँह जरूर मीठा कर ले।

धन्यवाद् ।

अगर आपको ये पोस्ट पसंद आया हो तो कृपया इसे अपने मित्रों और रिश्तेदारों से फेसबुक व ट्विटर पर जरूर शेयर करें।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें