विचारणीय

गीता कहती है - संशयात्मा विनश्यति अर्थात् सदा संशय करनेवाला, दूसरों को संदेह की दृष्टि देखनेवाला, अविश्वासी एवं अनियंत्रित व्यक्ति क्षय को प्राप्त होता है।

शनिवार, 10 सितंबर 2016

विकल्प Solve the Problem with OPTIONS

विकल्प
दोस्तों, एक बार मैं एक दक्षिण भारतीय रेस्टोरेंट में डोसा खाने के लिए गया। वहाँ एक कस्टमर का वेटर के साथ किसी बात को लेकर मामूली बहस चल रहा था। जितना मुझे समझ आया उसके मुताबिक वेटर ने आर्डर गलत नोट किया था परन्तु अपनी गलती नहीं मान रहा था। जैसे-तैसे मामला निपटा। उस वेटर ने कस्टमर को सबक सिखाने की ठानी।

वेटर (उस कस्टमर से) - माफ कीजिये, क्या आप दोबारा अपना आर्डर बताने की कृपा करेंगे ?

जरूर पढ़ें - 'अपनी शक्तियों को गुप्त रखें' - Keep in Secret your Powers - आपको जीवन में सफल बनाने के लिये।

कस्टमर - क्यों नहीं, जरूर बताएँगे। परंतु इस बार आप आर्डर ठीक से नोट कर ले।

वेटर - जी सर, तो बताइये आप क्या लेना चाहेंगे ?

कस्टमर - मुझे एक डोसा चाहिए।

वेटर - तुरंत खाने के लिए या पार्सल चाहिए ?

कस्टमर - खाने के लिए।

वेटर - स्माल, मीडियम या बिग ?

कस्टमर - बिग।T

वेटर - वेज या नॉनवेज ?

कस्टमर - वेज।

वेटर - मसाला डोसा, पनीर डोसा, चीज़ डोसा, बटर डोसा, वेजिटेबल डोसा, फ्रूट डोसा या प्लेन डोसा ?

कस्टमर - वेजिटेबल डोसा।

वेटर - गाजर डोसा, अनियन डोसा, आलू डोसा, मेथी डोसा या टोमेटो डोसा ?

कस्टमर - आलू डोसा।

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वेटर - विथ ऑइल या विथ-आउट ऑइल ?

कस्टमर - विथ ऑइल।

वेटर - मस्टर्ड ऑइल, सनफ्लावर ऑइल, कोकोनट ऑइल या ऑलिव ऑइल ?

कस्टमर - मस्टर्ड ऑइल।

वेटर - सांभर के साथ या बिना सांभर के ?
कस्टमर - सांभर के साथ।

वेटर - प्लास्टिक के पत्तल पर या केले के पत्तल पर ?

कस्टमर - केले के पत्तल पर।

कस्टमर ने एक-एक कर वेटर के सारे सवालों का जवाब देकर अपना आर्डर पूरा किया। वेटर के पास अब कोई चारा न था। उसने कस्टमर के कहे अनुसार आर्डर फॉरवर्ड किया।

कुछ ही देर में गरमा-गरम आलू डोसा, सांभर के साथ उस कस्टमर के टेबल पर पहुँचा दिया गया। उस कस्टमर ने बढ़े ही चाव से आलू डोसा खाया और खाने के बाद उस वेटर को धन्यवाद कहकर उसे टिप दिया और फिर वहाँ से विदा लिया।

दोस्तों, वैसे तो यह रेस्टोरेंट में आये दिन घटने वाली एक आम बात है। परंतु मैंने इस घटना से कुछ सबक लिया है जो आप लोगों से साझा करना चाहता हूँ।

पहला, औरों को नीचा दिखाने की कोशिश करेंगे तो स्वंय को शर्मिंदा होना पड़ेगा जैसा वेटर के साथ हुआ।

दूसरा, अगर आपको अपने मंजिल तक पहुँचना है तो धैर्य का दामन थामे रखे जैसा कि उस कस्टमर ने किया। उसने धैर्य के साथ वेटर को सारी जानकारियाँ दी और तब जाकर उन्हें अपना मनपसंद डोसा खाने को मिला।

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दोस्तों, हमारे जीवन में कहीं सारी समस्याएँ हैं जिनसे हमें रोज दो-चार होना पड़ता है। हम पूरी तरह से केवल उस उस समस्या के इर्द-गिर्द मंडराते रहते हैं परंतु समाधान के विकल्पों पर ध्यान नहीं देते और फिर हमेशा की तरह हार मान लेते हैं। हम एक बार भी उन समस्याओं को सुलझाने के लिए उनके अलग-अलग विकल्पों पर ध्यान ही नहीं देते और उदास हो जाते हैं। उदास होने की जगह अगर हम ठीक उस कस्टमर की तरह आपनी समस्याओं को सुलझाने के विकल्पों पर ध्यान दे तो हमें हल आसानी से मिल जायेगा। जरूरत है तो बस उन विकल्पों को अपनी बुद्धि और विवेक द्वारा धैर्य के साथ चुनने की।

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धन्यवाद ।।।



गुरुवार, 1 सितंबर 2016

अपनी शक्तियों को गुप्त रखें Keep In Secret Your Own Powers

बहुत समय पहले की बात है। जंगल में एक शेर रहता था। उसे ज्यादातर दिन भूखे ही गुजारना पड़ता था क्योंकि उसे शिकार करना ठीक से नहीं आता था। काफी मुश्किल से वह अपने शिकार को दबोच पाता था। उसी जंगल में एक बिल्ली भी रहती थी। वह काफी फुर्तीली थी और पलक झपकते अपने शिकार को ढेर कर देती थी। अन्य जानवर उसे मौसी कहकर पुकारते थे। शेर बिल्ली के पास जाता है।

शेर (प्यार से) - बिल्ली मौसी, बिल्ली मौसी।

बिल्ली - कहो क्या बात है ?

शेर - मौसी, मैं तुम्हारे बच्चे समान हूँ। क्या तुम मुझे शिकार करना नहीं सिखाओगी ?

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बिल्ली (कुछ देर सोचकर) - जरूर बेटा।

अगले दिन से शेर का प्रशिक्षण शुरू हो जाता है। बिल्ली मौसी बिना आवाज किये अपने पंजों पर चलकर शिकार के नजदीक जाकर फुर्ती से उसपर कैसे झपटना है ये शेर को सिखाती है। कुछ महीनों के प्रशिक्षण के बाद शेर एक अच्छा शिकारी बन जाता है।

बिल्ली - बेटा तुम्हारा प्रशिक्षण पूरा हो चुका है। अब तुम बिना किसी की सहायता के अपने शिकार को धराशायी कर सकते हो। अब तुम्हें शिकार के लिए किसी पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। अच्छा अब तुम मुझे अपना पहला शिकार पकड़कर दिखाओ।

शेर बिल्ली मौसी पर झपटकर उसे दबोच लेता है। शेर के चेहरे पर कुटिल मुस्कान को बिल्ली मौसी भांप लेती है। अब उसे सारा माजरा समझते देर नहीं लगती है।

बिल्ली - अरे वाह! तुम तो बहुत ही फुर्तीले हो गए हो।

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कुछ पल सोचते हुये बिल्ली ने कहा - बेटा, मैं भी कितनी भुलक्कड़ निकली। उम्र भी काफी जो हो गयी है। तुम्हें एक बहुत ही खास शिक्षा देना ही भूल गई। उस शिक्षा को मैंने अब तक किसी से साझा नहीं किया है परंतु तुम्हें जरूर सिखाऊँगी।

शेर खुश हो जाता है और बिल्ली को अपने चंगुल से आजाद कर उसे सिखाने को कहता है।

चंगुल से छूटते ही बिल्ली नजदीक के एक पेड़ की सबसे ऊँची डाली पर चढ़ जाती है।

शेर नीचे इंतजार करता रहता है परंतु बिल्ली नीचे नहीं उतरती है।

शेर - मौसी, क्या तुम मुझे पेड़ पर चढ़ना नहीं सिखाओगी?

बिल्ली - कभी भी औरों के सामने अपनी सारी शक्तियों का खुल्लासा नहीं करना चाहिए अन्यथा अपने जीवन से भी हाथ धोना पड़ सकता है। अपने गुप्त शक्तियों का इस्तेमाल समय आने पर करनी चाहिए। यही तुम्हारी आज की सीख है। अब तुम लौट जाओ।

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शेर पेड़ पर चढ़ने के लिए भरकस कोशिश करता है परंतु सफल नहीं हो पाता है। आखिरकार थक-हारकर वह अपने इलाके की ओर लौट जाता है।

सीख:-
1) अपनी शक्तियों को जग-जाहिर न करें।
2) किसी के भरोसे को कभी न तोड़े।
3) कृतज्ञ बने।

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