विचारणीय

गीता कहती है - संशयात्मा विनश्यति अर्थात् सदा संशय करनेवाला, दूसरों को संदेह की दृष्टि देखनेवाला, अविश्वासी एवं अनियंत्रित व्यक्ति क्षय को प्राप्त होता है।

शुक्रवार, 19 जून 2015

एक सीट और बदलाव Change with a seat



अगर आप दिल्ली में रहने वाले किसी व्यक्ति से पूछे की भई आज आप लेट क्यों हो गए तो प्रायः जवाब मिलेगा की आज बस नहीं मिली अथवा ट्रैफिक बहुत थी. ये जवाब प्रायः कहियों के मुख से आपको सुनने को मिलेगा.

अब आप सोच रहे होंगे की दिल्ली की सरकार सही काम नहीं कर रही है तो आप बिल्कुल गलत हो क्योंकि ये समस्या केवल दिल्ली की ही नहीं है बल्कि भारत के हर बड़े शहर की है. और भारत ही क्यों अन्य देशों में भी यह समस्या लगातार बढ़ती ही जा रही है.

हम सरकार से अपेच्छा लगाये हुए हैं कि वो नई योजनाओं को लागू करें ताकि एक बदलाव आये और इस समस्या से निजाद मिले.

परन्तु दोस्तों, क्या कभी आपने खुद में या खुद से इस समस्या को लेकर बदलाव लाने की कोशिश या एक छोटी सी पहल की है. हम अपने रोजमर्रा की समस्याओं को अपने सिर पर लाधे घर से बाहर निकलते हैं और फिर वापस रात को बिस्तर पर सोने से पहले तक लाधे रहते हैं. इन समस्याओं से पीछा छूटे तो किसी और की सोचेंगे न.

आप अपने व्यवहार में थोड़ा सा बदलाव कर कहियों की मदद कर सकते हैं. इसकी एक परिकल्पना हम आप सबसे share करना चाहेंगे.

एक शाम अपने कार्यालय से वापसी पर हमने एक व्यक्ति को जो मेरे सामने बस में खड़ा था, अपनी सीट से थोड़ा खिसककर उन्हें बैठने का अनुरोध किया. बस कचाकच भरा हुआ था. पहले वह थोड़ा हिचकिचाया फिर बैठ गया. अब वह पहले की अपेक्षा थोड़े आराम से अपनी मंजिल की ओर जा रहा था.

इससे बस में एक अन्य व्यक्ति के लिए जगह बन गयी थी जिसका फायदा बस वाले को हुआ. उसने एक और यात्री को जो बस स्टॉप पर खड़ा था उसे उठा लिया. अब वह यात्री अपने घर कुछ मिनट पहले पहुँच गया और कुछ अधिक पल अपने परिवार को दे पाया.

अगले दिन उस व्यक्ति की बेटी जो दसवीं की छात्रा थी, उसकी परीक्षा थी. वह पढ़ाई में काफी होशियार थी परन्तु एक विषय (subject) में थोड़ा संशय था. चूँकि आज उस व्यक्ति के पास थोड़ा समय भी था सो उसने अपना अतिरिक्त समय अपनी बेटी को उसके विषय को समझाने में लगाया. इसका फायदा उस बेटी को परीक्षा के नतीजे आने पर पता चला जब वह केवल कुछ अंकों के अंतर से पूरे स्कूल में अव्वल आई.

स्कूल को उस छात्रा पर गर्व हुआ, माता-पिता अपनी बेटी की सफलता से खुश थे और समाज का ज्ञान के क्षेत्र में उभरती एक युवती से साक्षात्कार हुआ.


अगर आपको यह article पसंद आये तो इसे आप अपने मित्रों के साथ facebook अथवा twitter पर जरुर share करें. यह आपका हमारे कार्य के प्रति प्रोत्साहन होगा.

धन्यवाद् ... ... !!!
 



मंगलवार, 16 जून 2015

जीवन का एच-टू-ओ


यदि आप विज्ञान के छात्र हैं, तो एच-टू-ओ (H2O) से भली-भांति परिचित होंगे. यह पानी का रासायनिक सूत्र यानी फ़ॉर्मूला है.

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि जल ही जीवन है और यह सभी जीवों के लिए अति-आवश्यक है. जल के बिना शायद ही ऐसा कोई जीव हो सकता जो जीवित रह सकता है. इस बात से इतना तो हम समझ ही गए हैं कि हमारे जीवन में जल कि क्या महत्ता है.

दोस्तों, ठीक ऐसा ही एक और H2O है जिसकी जानकारी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. वह है -


Health-Happiness-Optimism
यानि
स्वास्थ्य-प्रसन्नता-आशावाद

ये तीन बातें हम सबमें जरुर होनी चाहिए. 
Health - स्वास्थ्य:
बचपन में हमने कहीं पुस्तकों में पढ़ रखा है कि स्वास्थ्य का हमारे जीवन से काफी गहरा नाता है. हमारे पूर्वजों ने ‘स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है’ का नारा दिया था. योग इसी की एक कड़ी है. परन्तु इस बात से थोड़े ही लोग इत्तिफाक रखते हैं. आज की इस भाग-दौड़ से भरी जिंदगी में जैसे स्वास्थ्य का विषय कहीं पीछे छूट सा गया है. जीवन में यदि लम्बी रेस का घोड़ा बनना हो तो स्वास्थ्य पर खासा ध्यान आवश्यक है.

Happiness - प्रसन्नता:
सदियों से हमारे ऋषि-मुनियों, सिद्ध पुरुषों ने प्रसन्नता को प्राप्त करने के अलग-अलग उपाय सुझाये हैं. प्रसन्न चित व्यक्ति किसी भी मुश्किल का सामना आसानी से कर सकता है. महात्मा बुद्ध की मुख मंडली पर नित प्रसन्नता को छलकता देख एक शिष्य के मन में जिज्ञासा उत्पन्न होती है और इसके निवारण के लिए वह बुद्ध से प्रार्थना करता है कि उसे प्रसन्नता को प्राप्त करने का मार्ग दिखाये. इस पर महात्मा बुद्ध कहते हैं, “प्रसन्नता को प्राप्त करने का कोई उपाय नहीं है अपितु प्रसन्नता स्वंय एक मार्ग है.” आज के लोगों में और वो भी खास कर युवाओं में प्रसन्नता का जबरदस्त अभाव देखने को मिल रहा है. उनके चेहरों पर जैसे एक मुर्दानगी सी छाई रहती है. वे फेसबुक, व्हाट्स अप में ही जैसे जी रहे हैं और उसी में प्रसन्नता को प्राप्त करने की कोशिश में लगे हुए हैं.

Optimism - आशावाद:
धैर्य और आशावाद में गहरा नाता है. एक धैर्यवान व्यक्ति ही आशावादी हो सकता है. वहीं दूसरी ओर एक आशावादी व्यक्ति हमेशा धैर्य का दामन थामे रहता है. परन्तु आज का युवा वर्ग इन गुणों से वंचित होता जा रहा है. उनमें धैर्य की कमी है जिसके कारण उनकी सोच नकारात्मक होती जा रही है. वे मेहनत के बगैर फल की आशा करते हैं और अगर अनुकूल फल प्राप्त न हुआ तो निराशावादी बन जाते हैं. आगे चलकर कोई गलत कदम उठाने से भी वे नहीं हिचकिचाते.

इसके लिए जरुरी है कि हम इन तीनों चीजों के लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण करें. यह किसी व्यक्ति विशेष की जिम्मेदारी नहीं है. परिवार, समाज से लेकर प्रशासन तक सभी की यह जिम्मेदारी है. और सबसे बढ़कर स्वंय व्यक्ति विशेष की.

घर पर माता-पिता की जिम्मेदारी बनती है की वे अपने बच्चों के स्वास्थ्य की सही देख-रेख करें और स्वास्थ्य से जुडी बातों से अवगत कराएँ. उनके साथ समय बिताये. उनकी छोटी-छोटी खुशियों में शामिल होकर उनका उत्साह बढ़ाये. उनमें आशा का दीपक जलायें. पंचतंत्र की कथायें अपने बच्चों को जरुर सुनाएँ.

स्कूल में शिक्षकों की जिम्मेदारी बनती है कि वो बच्चों में केवल किताबी ज्ञान न भरकर जीवन की वास्तविकताओं से परिचित कराएँ. खेल-कूद को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करें इससे वातावरण में खुशनुमा माहौल बना रहता है. बच्चों को दुनियाँ की महान हस्तियों के धैर्य और साहस से भरे जीवन चरित्र से परिचित कराएँ.

समाज की जिम्मेदारी बनती है कि वो स्वास्थ्य से जुडी बातों पर अमल करें. रिश्तों और खुशियों को पैसों से तोलने की बजाय मेहनत और ईमानदारी का सम्मान करें ताकि हमारी आने वाली नस्ल को एक जागरूक समाज मिलें.

प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है की वो इस बात का समय-समय पर आँकलन करें की लोग स्वास्थ्य से जुडी बातों पर अमल कर रहे हैं या नहीं. स्वास्थ्य के नियम-कानूनों के प्रति जागरूकता फैलाये. स्वास्थ्य संस्थानों का माहौल सुधारें. खिलाड़ियों को उचित माहौल और आवश्यक सामग्रियाँ मोहैया कराएँ और उनको लगातार अपना प्रोत्साहन प्रदान करें.

स्वास्थ्य, प्रसन्नता एवं आशावाद, ये तीन बातें हम सबमें होनी चाहिए और खास तौर पर युवाओं में तो जरूर होनी चाहिए.

Other Inspirational Posts: जरूर पढ़े -


अगर आपको यह article पसंद आये तो इसे आप अपने मित्रों के साथ facebook अथवा twitter पर जरुर share करें. यह आपका हमारे कार्य के प्रति प्रोत्साहन होगा.

धन्यवाद् ... ... !!!


शनिवार, 13 जून 2015

बदलाव ही जीवन है



दोस्तों, एक ओर हम कहते हैं की हमारे नेतागण सही काम नहीं कर रहें हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हीं अयोग्य और भ्रष्ट नेताओं को हम दुबारा चुनकर गलत काम के लिए पुनः अवसर प्रदान करते हैं और फिर अगले पाँच सालों तक उन्हें कोसते रहते हैं.

क्या ये सही है ?

क्या औरों को कोसने मात्र से समस्या का हल प्राप्त हो जायेगा ?

हम नित्य बदलाव के बारे में बहुत सी बातें करते हैं परन्तु आज भी हम बदलाव को अपनाने से डरते हैं. हम जहाँ बैठ जाते हैं वहीं पर बैठे रहना पसंद करते हैं. हम जो करते आ रहें हैं उसे यूहीं करते रहना पसंद करते हैं परन्तु उनमें कोई बदलाव अथवा नयापन नहीं चाहते और आवश्यक बदलाव को भी नकार देते हैं.

अगर कोई बात आपको पसंद न आये तो उसे बदलने की कोशिश करें. अगर आपको कोई स्थान पसन्द न आये तो उसे बदल लीजिये. अगर आपको नेता पसंद न आये तो उसकी बजाय नए यूवा नेताओं को जो योग्यता रखते हो, अवसर दे. अगर आपको पढ़ाई में मजा नहीं आ रहा है तो पढ़ाई के तरीके में बदलाव लाये जिससे पढ़ाई आपको रोचक लगें. इसमें अभिभावकों एवं शिक्षकों की अहम भूमिका है.

जिस प्रकार एक कपडे को पसंद न आने पर उसे उतार फेंकते हैं ठीक उसी प्रकार अगर कोई विचार आपको पसंद न आये तो उस पर चर्चा करें, जरुरी बदलाव लाने की कोशिश करें. आपकी कोशिश बदलाव की राह में मील का पत्थर साबित होगी.

बड़े से बदलाव की प्रतीक्षा में छोटे से बदलाव की अनदेखी न करें. हर छोटा सा बदलाव ही भविष्य के बड़े बदलाव का आधार बनता रहा है और आगे भी बनता रहेगा.

छोटे-छोटे से बदलाव को लाकर हम अपने विषय और नित कार्यों को रुचिकर बनाये रख सकते हैं. खाने में थोड़ा सा बदलाव ला कर भोजन का स्वाद बढ़ाया जा सकता है. आदत में थोडा बदलाव ला कर आस-पास के माहौल को खुशनुमा बनाया जा सकता है. सुबह थोड़े मिनटों की चहल-कदमी हमारे स्वास्थ्य की प्रगति में सहायक साबित हो सकती है. जंक फ़ूड की बजाय घर पर ही स्नैक्स बना ले तो स्वास्थ्य की दृष्टी से सही होगा और पैसों की भी बचत होगी.

बदलाव कहने का मतलब केवल अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए लिया गया निर्णय कतई नहीं होना चाहिए. समय की माँग और सदउद्देश्य से लिया गया निर्णय और उनसे होने वाले बदलाव को खुले दिल से अपनाने में ही व्यक्ति, परिवार, समाज, देश और संसार की भलाई निहित है.

दोस्तों, बदलाव को खुले दिल से अपने दोनों बाहों को फैलाकर अपनाओं क्योंकि –

बदलाव ही जीवन है.


अगर आपको यह post पसंद आई है तो इसे आप अपने मित्रों के साथ facebook अथवा twitter पर share कीजिये. यह आपका हमारे कार्य के प्रति प्रोत्साहन होगा. 

धन्यवाद् ... ... !!!