विचारणीय

गीता कहती है - संशयात्मा विनश्यति अर्थात् सदा संशय करनेवाला, दूसरों को संदेह की दृष्टि देखनेवाला, अविश्वासी एवं अनियंत्रित व्यक्ति क्षय को प्राप्त होता है।

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2016

कालाधन Black money

पिछले कुछ वर्षों से देश में कालेधन को लेकर लोगों में जो आक्रोश का माहौल देखने को मिला उसका नतीजा ही ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ के नारे का एक प्रमुख कारण कह सकते हैं.

परन्तु हमें आक्रोश की बजाय इस विषय में थोड़ा संशय हो रहा है जिसका निवारण हम आपके द्वारा इस विषय पर लिखे टिप्पणियों से करना चाहेंगे.

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पहला संशय, आखिर क्या है कालाधन ?????
हर वो धन अथवा संपत्ति जो किसी भी नागरिक द्वारा अपने राष्ट्र के कानून के विरुद्ध इकट्टा किया गया हो और जिसका कोई लिखित हिसाब न हो, कालाधन (ब्लैकमनी)  कहलाता है.

भारत में काले धन की परिभाषा काला-बाजारी द्वारा कमाए धन से है जिस पर कर अथवा टैक्स नहीं दिया गया है.

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दूसरा संशय, किसने कालेधन की जमाखोरी कर रखी है ?????
जब कभी हम इस सवाल के विषय में सोचते हैं तो हमारा पहला जवाब होता है हमारे माननीय नेता गण या उद्योगपति गण. ये कहीं मायनों में सही भी है परन्तु अधूरा सच.  आपको ये जानकार और भी आश्चर्य होगा कि विश्व का लगभग हर सरकारी कार्यालय कालाधन कमाने का अड्डा सा बन गया है. इनमें कार्यरत चपरासी से लेकर उच्च अधिकारी तक सभी काले धन की कमाई में तल्लीन हैं. परन्तु यह अधूरा सच है. पूरा सच तो यह है कि हर व्यक्ति चाहे वह सरकारी क्षेत्र से जुड़ा हो या फिर निजी क्षेत्र की  संस्थाओं से, जाने अनजाने इस काले धन को कमाने में लगे हुए हैं.

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तीसरा संशय, कितना है ये कालाधन ?????
इसका कोई सटीक जवाब नहीं. इस वर्ष यानि की 2015 के फरवरी महीने में इंडियन एक्सप्रेस ने 1195 भारतीयों के नाम का खुलासा किया जिनका बैंक बैलेंस HSBC के जिनेवा स्थित शाखा में गत 2006-07 आर्थिक वर्ष के मुताबिक लगभग 25,420 करोड़ रुपये हैं.

एक गणना के मुताबिक, भारत में काले धन की व्यापकता इस बात से लगा सकते हैं कि काला धन यहाँ के GDP का लगभग 23-26% हिस्से के बराबर है.

अब आप ही सोचिये ऐसी परिस्थितियों में आप कैसे आशा लगाये रह सकते हैं की जनता की भलाई के लिए लागू की गयी कोई योजना सही मायनों में सफल होगी.

चौथा संशय, क्या भारत एक गरीब देश है ?????
इसका जवाब स्विस बैंक वाले अच्छी तरह से दे पाएँगे जहाँ केवल कुछ भारतीयों की निजी खातों में लगभग 1,500 बिलियन डालर पड़े हुए हैं जो की भारत के विदेशी ऋण की तुलना में 13 गुना अधिक है. इसलिए इस सवाल को पूछने से पहले हमें एक बार फिर से इस संशय पर विचार करना होगा.

पाँचवा संशय, इस समस्या का समाधान क्या है ?????
1) “कालाधन” की परिभाषा को स्पष्ट कर.
2) जनता को काले धन के खिलाफ जागरूक कर और इससे होने वाले नुकसान को बताकर .
3) टैक्स में रिहायत दे कर.
4) दंड का कड़ा प्रावधान बनाकर.
5) नियमों को सही ढंग से लागू कर और उस पर सख्ती से निगरानी रख कर.

कुछ पंक्तियाँ कविता की आप सबसे इस सन्दर्भ में कहना चाहूँगा:

कालाधन कब वापस आयेगो

हर ओर हल्ला मचा हुआ है – घर वापसी का है इंतजार !
सब्र रखा बहुत अब तक – अब आँखे बिछा रखी बैंक खातों पर !
परन्तु  ये क्या ???????
सबने घर अपने जमा कर रखा है, फिर क्यों ताके राह कालाधन की वापसी का !

घर को कर साफ, पड़ोस में कूड़ा डालने वाला पूछे है – कालाधन कब वापस आयेगो !
बिजली चोरी कर घूस देने वाला पूछे है – कालाधन कब वापस आयेगो !
कामचोर सरकारी कर्मचारी घूस लेकर पूछे है – कालाधन कब वापस आयेगो !
टैक्स चोरी करने वाला पूछे है – कालाधन कब वापस आयेगो !
कमीशन लेकर सीटों का बँटवारा करने वाला नेता पूछे है – कालाधन कब वापस आयेगो !
रेड सिग्नल को पार कर घूस देकर छूटने वाला पूछे है – कालाधन कब वापस आयेगो !
शादी में दहेज का लोभी पूछे है – कालाधन कब वापस आयेगो !
बेटी को बोझ समझने वाले दहेज देकर पूछे है – कालाधन कब वापस आयेगो !
हरामखोर थानेदार पूछे है – कालाधन कब वापस आयेगो !
माल देकर जेल से छूटने वाला पूछे है – कालाधन वापस कब अयेगो !
पैसे लेकर कुण्डलियाँ मिलवाने वाला पंडा पूछे है – कालाधन कब वापस आयेगो !
नोट लेकर खबर छापने वाला पूछे है – कालाधन कब वापस आयेगो !
आधारकार्ड घूस देकर बनवाने वाला पूछे है – कालाधन कब वापस आयेगो !
रुपयों के जोर पर पास होने वाला पूछे है – कालाधन कब वापस अयेगो !
कमीशनखोर डॉक्टर पूछे है – कालाधन कब वापस आयेगो !
प्रवचन के नाम पर चंदा इकट्ठे करने वाला पूछे है – कालाधन कब वापस आयेगो !

हर ओर हल्ला मचा हुआ है – घर वापसी का है इंतजार !
सब्र रखा बहुत अब तक – अब आँखे बिछा रखी बैंक खातों पर !
परन्तु  ये क्या ???????
सबने घर अपने जमा कर रखा है, फिर क्यों ताकते राह कालाधन की वापसी का !
बदल सको तो पहले खुद को बदलो, फिर कहना औरों को !!!

दोस्तों, यदि आपके पास भी इस समस्या को सुलझाने का कोई सुझाव हो तो कृपया साझा करें.

मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

नेताजी सुभाष के अनमोल विचार Golden words of Subhashchandra Bose


अगर भारत के स्वतंत्रता सेनानियों की बात करें तो सुभाषचंद्र बोस ही एकमात्र ऐसे नेता रहे हैं जो गाँधी के समतुल्य हैं, ऐसा कहा जा सकता है. परन्तु यह हमारी बदकिस्मती ही है कि हमारे इतिहास के पुस्तकों में नेताजी को एक उपेछित स्वतंत्रता सेनानी का तमगा मिला है. बापूजी और नेताजी के विचारों में फर्क भले हो परन्तु दोनों एक दूसरे की देश भक्ति के कायल थे. अगर आप ध्यान पूर्वक नेताजी के विचारों का विश्लेषण करें तो पाएँगे कि उनकी वाणी और करनी में कोई अंतर नहीं. उनके भाषण देशभक्ति एवं भाईचारा से प्रेरित होते थे.

* राष्ट्रवाद मानव जाति के उच्चतम आदर्शों सत्यम्-शिवम्-सुन्दरम् से प्रेरित है.

* मैं लोगों पर नहीं उनके मनों पर राज्य करना चाहता हूँ. उनका हृदय सम्राट बनना चाहता हूँ.

Interesting facts about subhash chandra bose in  hindi
http://gyandarshanam.blogspot.com/2016/01/interesting-facts-about-subash-chandra-bose.html

* चितरंजन दास जी के परामर्श पर सुभाषचंद्र बोस देश भ्रमण को गए और निष्कर्ष निकाला – “हमारी सामाजिक स्थिति बदतर है, जाति-पाँति  तो है ही, गरीब और आमीर की खाई भी समाज को बाँटे हुए है. निरक्षरता देश के लिए सबसे बड़ा अभिशाप है. इसके लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है.”

* कांग्रेस के एक अधिवेशन में सुभाषचंद्र बोस ने कहा था – “मैं अंग्रेजों को देश से निकालना चाहता हूँ. मैं अहिंसा में विश्वास रखता हूँ किन्तु इस रास्ते पर चलकर स्वतंत्रता काफी देर से मिलने की आशा है.”

* इतिहास में कभी भी विचार-विमर्श से कोई वास्तविक परिवर्तन हासिल नहीं हुआ है.

* स्वतंत्रता बलिदान चाहती है. आपने आज़ादी के लिए बहुत त्याग किया है, किन्तु अभी प्राणों की आहुति देना शेष है. आज़ादी को आज अपने शीश फूल चढ़ा देने वाले पागल पुजारियों की आवश्यकता है. ऐसे नौजवानों की आवश्यकता है जो अपना सिर काट कर स्वाधीनता देवी को भेंट चढ़ा सकें.

* तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा.

* याद रखिये सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है.

* मैं अपने देश भारत और भारतवासियों को स्वतंत्र कराने की प्रतिज्ञा करता हूँ.

* जब अंग्रेज नेताजी को माँडले जेल में कैद करने ले गए तब नेताजी ने कहा – “मैं इसे आज़ादी चाहने वालों का तीर्थ स्थल मानता हूँ. मेरा सौभाग्य है कि जिस स्थान को तिलक, लाला लाजपत राय आदि क्रांतिकारियों ने पवित्र किया, वहाँ मैं अपना शीश झुकाने आया हूँ.”

* प्रांतीय ईर्ष्या-द्वेष दूर करने में जितनी सहायता हिंदी प्रचार से मिलेगी दूसरी किसी चीज से नहीं.

* मुसलमानों के विषय में सुभाष कहते – “मुसलमान इस देश से कोई अलग नहीं हैं. हम सब एक ही धारा में बह रहे हैं. आवश्यकता है सभी भेदभाव को समाप्त कर एक होकर अपने अधिकारों के लिए जूझने की.”

* नेताजी के ए.डी.सी. कर्नल हबीब उर रहमान के मुताबिक नेताजी ने अपने अंतिम पलों में उनसे कहा – “जब तुम अपने मुल्क वापस जाओ तो मुल्क के भाइयों को बताना की मैं आखिरी दम तक मुल्क की आज़ादी के लिए लड़ता रहा हूँ. वो जंग-ए-आज़ादी को जारी रखें. हिन्दुस्तान जरुर आज़ाद होगा, उसे कोई गुलाम नहीं रख सकता है.”

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