विचारणीय

गीता कहती है - संशयात्मा विनश्यति अर्थात् सदा संशय करनेवाला, दूसरों को संदेह की दृष्टि देखनेवाला, अविश्वासी एवं अनियंत्रित व्यक्ति क्षय को प्राप्त होता है।

शनिवार, 28 फ़रवरी 2015

नजरिया

बहुत समय पहले की बात है. एक राज्य में एक व्यापारी रहता था. वह काफी धनवान था. उसे इस बात का घमंड था की वह राज्य का सबसे धनी व्यक्ति है. उसका एक बेटा था जो बिलकुल अपने पिता के विपरीत था. पिता को ये बात थोड़ी खटकती थी.


एक दिन व्यापारी अपनी अमीरी से परिचित कराने के उद्देश्य से अपने बेटे को लेकर राज्य की परिक्रमा पर निकला. उन्होंने एक अत्यंत गरीब किसान के घर पर कुछ रोज गुजारने के पश्चात वापसी करने की सोची.

वापसी की यात्रा के दौरान पिता ने अपने बेटे से सवाल किया.

पिता (गर्व से) – ट्रिप कैसा रहा ?
बेटा – बहुत बढ़िया रहा.

पिता – क्या तुमने देखा की वह किसान कितनी गरीबी में दिन गुजर रहा है ?
बेटा – जी हाँ.

पिता – और इससे तुम्हें क्या सीख मिली.
बेटा (सहज भाव से) – हमारी हवेली में एक कुत्ता है जबकि उनके घर पे पाँच कुत्ते हैं. हमारी हवेली में बगीचे के बीचो-बीच एक छोटा सा तालाब है जबकि उनके पास अंतहीन नदी है. हमारी हवेली के बगीचे में विदेशों से खरीदी लालटेन है जबकि उनके पास अनंत तारे हैं. हमारी हवेली का बरामदा कुछ वर्ग तक सीमित है जबकि सारा जहाँ उनका बरामदा है.

जरूर पढ़ें - 'अपना दीपक स्वयं बनो' - हमें अपनी राह स्वयं खोजनी है।

बेटा (आगे कहा) – पिताजी, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. अपने मुझे परिचित कराया कि हम कितने गरीब हैं.

व्यापारी को अपनी गलती का आभास हुआ.

दोस्तों, कहीं बार हम घमंड में चूर होकर दूसरों को कम कर आंकने की भूल कर बैठते हैं. दूसरों के मन और उनकी भावनाओं को ठेस पहुँचाने का हक़ किसी को नहीं है. जीवन के प्रति हमारा नजरिया हमारी सोच पर निर्भर है. हमारी नजर में जो कीमती है वही अन्य की नजर में कोयला हो सकता है. जीवन में उन्नति करने की सोच रखने वालों से प्रार्थना है की वो अपनी सोच को सकारात्मक (पॉजिटिव) बनाये रखें.

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शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015

बुद्ध विचार विहार

दोस्तों, हर एक के जीवन में कभी न कभी ऐसी घटनाएँ घटती है जिनसे पार पाने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. कहीं बार हम इतने निराश हो जाते हैं कि खुद को समाप्त करने तक की बात सोचने लगते हैं. परन्तु क्या एक बार भी हम ये मानने को तैयार होते हैं कि इन परिस्थितियों के उत्पन्न होने में हमारा भी उतना ही बड़ा हाथ हैं. सच्चाई को स्वीकारने पर ही समस्या का हल मिलेगा.
महात्मा बुद्ध का जीवन बिलकुल सादा परन्तु असाधारण विचारों और कार्यों से भरपूर था. उन्होंने दुनिया को ज्ञान का प्रकाश देकर अज्ञानता को मिटाया है। उन्हें दुनिया का गुरु कहना भी गलत न होगा। मेरा यह पोस्ट शिक्षकों को समर्पित है। चलिए आज हम अपनी समस्याओं का हल महात्मा बुद्ध के विचारों का विश्लेषण कर प्राप्त करते हैं।

In Hindi: मन ही सबकुछ है. आप जैसा सोचते हैं वैसा ही बन जाते हैं।
अंग्रेजी में: The mind is everything. What you think you become.

In Hindi: जब शिष्य तैयार हो जाता है, तब गुरु प्रकट होता है।
अंग्रेजी में: When the student is ready, the teacher appears.

जरूर पढ़ें - 'भीष्म उपदेश' - उन्नति चाहने वालों के लिए।

In Hindi: अज्ञानत सबसे अँधेरी रात है।
अंग्रेजी में: The darkest night is ignorance.

In Hindi: मोह दुखों का जड़ है।
अंग्रेजी में: The root of suffering is attachment.

In Hindi: प्रसन्नता को प्राप्त करने का कोई मार्ग नहीं है; प्रसन्नता स्वंय एक मार्ग है।
अंग्रेजी में: There is no path to happiness; happiness is the path.

In Hindi: हजारों खोखले शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो शांति लाये।
अंग्रेजी में: Better than a thousand hollow words, is one word that brings peace.

In Hindi: जिव्हा एक तेज धार वाली चाकू की भांति है। यह बिना रक्त बहाये मार डालती है।
अंग्रेजी में: The tongue is like a sharp knife. It kills without drawing blood.

In Hindi: मुर्ख शुभ दिन की प्रतीक्षा करते हैं परन्तु मेहनती व्यक्ति के लिए हर दिन शुभ है।
अंग्रेजी में: Fool wait for a lucky day, but every day is a lucky day for an industrious man.

In Hindi: आकाश में पूरब और पश्चिम का विभाजन नहीं दिखता है; लोगों ने इसे अपने बुद्धि के मुताबिक बनाया है और तत्पश्चात इसे ही सत्य मान बैठे हैं।
अंग्रेजी में: In the sky, there is no distinction of east and west; people create distinctions out of their own minds and then believe them to be true.

जरूर पढ़ें - विदुर - एक नीति सम्राट - अनमोल बोल

In Hindi: क्रोध को पालना अपनी मुट्टी में गरम कोयले को थामने की भांति है जिसे आप दुसरों पर फेंकना चाहते हैं परन्तु इससे आप ही जलते हैं।
अंग्रेजी में: Holding on to anger is like grasping a hot coal with the intent of throwing it at someone else; you are the one getting burned.

In Hindi: तीन चीजें ज्यादा देर तक नहीं छुप सकती: सूरज, चंद्रमा और सत्य।
अंग्रेजी में: Three things cannot be long hidden: the sun, the moon and the truth.

In Hindi: मैं कभी नहीं देखता की क्या किया जा चुका है; मैं हमेशा देखता हूँ कि क्या किया जाना बाकी है।
अंग्रेजी में: I never see what has been done. I only see what remains to be done.

In Hindi: किसी जंगली जानवर की तुलना में कपटी और दुष्ट मित्र से ज्यादा डरना चाहिए. जानवर तो बस आपके  शरीर को नुकसान पहुँचा सकता है, पर एक बुरा मित्र बुद्धि को नुकसान पहुँचा सकता है।
अंग्रेजी में: An insincere and evil friend is more to be feared than a wild beast; a wild beast may wound your body, but an evil friend will wound your mind.

In Hindi: स्वस्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन और वफादारी सबसे बड़ा सम्बन्ध है।
अंग्रेजी में: Health is the greatest gift, contentment the greatest wealth, faithfulness the best relationship.

In Hindi: हमारी रक्षा कोई नहीं अपितु हम स्वंय कर सकते हैं. हमें स्वंय मार्ग पर चलना पड़ेगा।
अंग्रेजी में: No one can save us but ourselves. We ourselves must walk the path.

In Hindi: आपका सबसे दुष्ट शत्रु आपको जितनी हानि नहीं पहुँचा सकता उतनी हानि आपका अपना अनियंत्रित विचार पहुँचाता है।
अंग्रेजी में: Your worst enemy cannot harm u as much as your own unguarded thoughts.

जरूर पढ़ें - गीता' - in Hindi

In Hindi: आपका बीताकल कितना ही कठोर क्यों न रहा हो, आप हमेशा दोबारा शुरुआत कर सकते हैं।
अंग्रेजी में: No matter how hard the past, you can always begin again.

In Hindi: आपको अपने क्रोध के कारण दंड नहीं मिलेगा; आपका क्रोध ही आपको दंडित करेगा।
अंग्रेजी में: You will not be punished for your anger; you will be punished by your anger.

In Hindi: हर सुबह हम दोबारा जन्म लेते हैं, आज हम जो कुछ करते हैं वही अति महत्वपूर्ण है।
अंग्रेजी में: Every morning we are born again, what we do today is what matters most.

In Hindi: हजारों योद्धाओं पर विजय पाना आसान है, लेकिन जो अपने ऊपर विजय पाता है वही सच्चा विजयी है।
अंग्रेजी में: A man who conquers himself is greater than one who conquers a thousand men in battle.

In Hindi: अतीत पे ध्यान मत दो, भविष्य के बारे में मत सोचो, अपने मन को वर्तमान क्षण पे केन्द्रित करो।
अंग्रेजी में: Do not dwell in the past; do not dream of the future, concentrate the mind on the present moment.

In Hindi: जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता।
अंग्रेजी में: Just as a candle cannot burn without fire, men cannot live without a spiritual life.

In Hindi: मित्रता इर्ष्या का एकमात्र इलाज है, जो शांति का एकमात्र भरोसा है।
अंग्रेजी में: Friendship is the only cure for hatred, the only guarantee of peace.

In Hindi: कुछ बोलने से पहले आप स्वंय से पूछिए की जो कहने जा रहे हैं क्या वो सत्य है, क्या वो आवश्यक है और क्या वो अच्छी बात है।
अंग्रेजी में: If you propose to speak, always ask yourself, is it true, is it necessary, is it kind.

In Hindi: अगर आप वास्तव में स्वंय से प्रेम करते हैं तो आप दूसरों को कष्ट नहीं पहुँचा सकते।
अंग्रेजी में: If you truly loved yourself, you could never hurt another.

जरूर पढ़ें - आयुर्वेद का चमत्कार - The Magic of Ayurveda

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बुधवार, 25 फ़रवरी 2015

संशय को अलविदा कहें Say bye to Confusion


आखिर क्या है ये संशय ?
संशय – अंग्रेजी में जिसे हम “कनफ्यूजन” कहते हैं, वास्तव में एक मानसिक दशा है. यह ऐसी दुविधा है जो किसी की भी विचारशीलता (सोचने की क्षमता) और कार्यशीलता (काम करने की क्षमता) को नष्ट कर सकता है. यह हमारी निराशावादी सोच का ही एक परिणाम मात्र है.

'आदत की कमाई' - जीवन में सफलता के लिए जरूर पढ़े।

कई सारे विकल्पों की मौजूदगी संशय को जन्म देती है. किसी भी कार्य की शुरुआत से पूर्व इस दुविधा में पड जाना की मैं इस कार्य को करूँ या नहीं, फलाना काम में सफलता मिलेगी या नहीं, आज करूँ कि कल, किसी बात को बताऊँ या छुपाऊँ इत्यादी – संशय का प्रतीक है. कहीं बार संशय के वंशिभूत हम गलत निर्णय ले बैठते है और बाद में पछताते हैं.

संशय का कारण और समाधान:
संशय का मूल कारक हैं - भय और आवेश. आत्मविश्वास की कमी भी संशय को बढावा देती है. यह एक प्रकार की अस्थायी अवस्था है जिसका समाधान उपस्थित है. संशय का एकमात्र समाधान है कि हम अपनी अज्ञानता रूपी परदे को भेद दे. भोर के वक्त सूरज की रोशनी फैलने पर जिस प्रकार अंधियारा दूर हो जाता है और हमें सबकुछ स्पष्ट नजर आने लगता है, ठीक उसी प्रकार ज्ञान रूपी दीये की रोशनी मन से भय और संशय को समाप्त कर हमारा मार्गदर्शन करता है.

जरूर पढ़ें - विदुर - एक नीति सम्राट - अनमोल बोल

गीता में श्रीकृष्ण ने कहा था – “संशयात्मा विनश्यति” अर्थात “संशय करने वालों का नाश निश्चय है.” संशय करने वाला कभी उन्नति नहीं कर पाता हैं. वह स्वयं अपना ही शत्रु बन बैठता है और साथ ही साथ अपने आस-पास चारों ओर निराशावादी माहौल तैयार कर देता है.

कुरुक्षेत्र के मैदान में जब अर्जुन ने देखा की जिनसे उन्हें युद्ध लड़ना है वे कोई पराये नहीं अपितु उनके अपने ही लोग हैं. तब उन्हें लगा की इनसे युद्ध करने पर अपने पूर्वजों का ही अपमान होगा. वे संशय में पड़ गए. सोचने लगे, “अगर युद्ध करता हूँ तो अपनों के रक्त से हाथ धोने पड़ेंगे वहीँ अगर युद्ध न करूँ तो एक नारी (द्रौपदी) के अपमान का दंड कैसे दिया जाये.” अर्जुन को जब कोई रास्ता न सूझा तो वे श्रीकृष्ण की शरण में चले गए. श्रीकृष्ण ने गीता रूपी ज्ञान का दीपक जलाकर अर्जुन के मन से संशय रूपी अंधकार का नाश कर उनका मार्गदर्शन किया.

जरूर पढ़ें - आयुर्वेद का चमत्कार - The Magic of Ayurveda

दोस्तों, हम अपने रोजमर्रा के जीवन में अक्सर देखते है की किस प्रकार संशय में पड़कर एक व्यक्ति अपना सुध-बुध खो बैठता है और शुभ अवसर का लाभ नहीं उठा पाता है. संशय में पड़कर लोग कहीं बार अपना सब कुछ गवां बैठते हैं. कहीं बार वे आक्रमक हो जाते हैं. ठीक इसके विपरीत कुछ ऐसे भी लोग हमें देखने को मिले हैं जिन्होंने खुद के विश्वास को बल दिया और फिर जीवन के कुरुक्षेत्र में निसंकोच कदम आगे बढ़ाया. कहने की आवश्यकता नहीं की ऐसे लोग ही अपनी मंजिल को पाने का दम रखते हैं और सफलता बाहँ फैलाये इनका स्वागत करता है.

दोस्तों, हम सब की कोशिश रहनी चाहिए की संशय से दूरी को सदा बनाये रखे, इसे अपने आस-पास भी पैर पसारने का मौका न मिले.




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शनिवार, 21 फ़रवरी 2015

समय बड़ा बलवान Time is mighty


बहुत समय पहले की बात है. एक गाँव में रमेश नाम का किसान रहता था. वह हर दूसरे महीने अपने खेत में उगे नारियल को शहर ले जाकर बेच आता था. शहर काफी दूर था इसलिए रमेश अपनी बैलगाड़ी में नारियल को लादकर ले जाता था.

जरूर पढ़ें - 'चाणक्य की प्रकृति सीख' - प्रकृति ही गुरु है।

रमेश का एक बेटा था जो महज 6 वर्ष का होगा. उसका नाम कमल था. अगली बार  जब रमेश शहर जाने को तैयारी कर रहा था तब कमल भी उसके साथ जाने की जिद करने लगा. आखिरकार रमेश को बात माननी पड़ी.

दोनों बैलगाड़ी में बैठकर शहर को निकल पड़े. रास्ते में कमल को प्यास लगी.

कमल – पिताजी, पिताजी, मुझे बहुत प्यास लग रही है. क्या मैं एक नारियल का पानी पी सकता हूँ ?

रमेश (प्यार से) – अभी नहीं बेटा, शहर बस अब थोड़ी ही दूरी पर है. वहाँ पहुँचने के बाद पानी पी लेना.

थोड़ी देर पश्चात कमल ने फिर वही बात दोहराया. उसके जवाब में रमेश ने भी वही जवाब  दोहराया. कुछ दूर और आगे बढ़ने पर जब कमल फिर  से पानी की जिद करने लगा तब  जवाब में रमेश ने भी वही जवाब दोहराया परन्तु थोड़ी कठोरता के साथ.

जरूर पढ़ें - बुद्धि का बल - Tenali Ramana Special

कमल की प्यास बढ़ती ही जा रही थी. परन्तु डर के मारे कहने से घबरा रहा था. इसलिए चुपचाप यूहीं आँखे बंद कर लेट गया.
काफी समय की यात्रा के पश्चात शहर आ गया.

रमेश (कमल से) – बेटा, उठ जाओ, शहर आ गया है.

कमल ने कोई जवाब नहीं दिया. रमेश ने कमल को उठाने का प्रयत्न किया परन्तु तब तक काफी देर हो चुका था. वह प्यास के मारे इस दुनिया से विदा ले चुका था. रमेश को जैसे लकवा मार गया हो. वह जल्दी से एक-एक कर सारे नारियल को छीलकर कमल के मुहँ के पास लाकर उसे पिलाने का प्रयास कर रहा था जो की अब व्यर्थ था.

सीख: समय पर पानी नहीं मिलने के कारण कमल की मृत्यु हो गयी. तात्पर्य, समय किसी के लिए नहीं रुकता है. समय के अनुसार कार्य करने पर तकलीफ कम और सफलता की गुंजाइश बढ़ जाती है.

दोस्तों, हम सब भी अक्सर जाने-अनजाने ऐसी ही गलती कर बैठते हैं और बाद में पछताते हैं. आशा करते हैं की आपको हमारा यह ब्लॉग पसंद आयेगा.

जरूर पढ़ें - सत्य की परिभाषा - Definition of Truth

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शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2015

सर्वोपरि स्वंय के प्रति सत्यनिष्ट रहें

हर एक के जीवन में निष्ठा की अहम भूमिका है। निष्ठा की कोई पराकाष्ठा नहीं होती है। यह समय और परिस्थितियों के अनुरूप होता है। बिना निष्ठा के हम किसी भी कार्य को सफलता पूर्वक पूर्ण नहीं कर सकते। निष्ठा का अर्थ है – ईमानदारी।


एक शिष्य की तन-मन से कोशिश रहती है की वो अपने गुरु के प्रति निष्टावान रहे। यही कोशिश एक पिता की अपने परिवार के प्रति, एक पुत्र की अपने माता-पिता के प्रति, एक नागरिक की अपने वतन के प्रति, एक योगी की अपने आराध्य के प्रति अथवा एक कार्मिक की अपने मालिक के प्रति भी रहना स्वाभाविक है। परन्तु निष्ठा अथवा ईमानदारी का अर्थ ये कतई नहीं की हम केवल दुसरों के प्रति ईमानदार रहें। दूसरों के प्रति निष्टावान रहने से पूर्व हमें स्वयं के प्रति निष्टावान रहना अति आवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति की यही कोशिश रहनी चाहिए की वो स्वयं के प्रति निष्टा को परखे और समयानुसार जरुरी संशोधन लावें।

एक व्यक्ति जब तक न चाहे उसमें कोई बदलाव नहीं ला पाता है। जब वह स्वयं चाहता है तब बाहरी कारकों का प्रभाव उस पर भी दिखलाई पड़ता है। ठीक उसी प्रकार जब कोई व्यक्ति स्वयं के प्रति निष्ठा नहीं रखता तब तक अन्य भी उसकी निष्ठा पर संदेह करते हैं और ये स्वाभाविक ही है। इस बाबत एक वाक्य स्मृति पटल पर उजागर हो आया है जिसे मशहूर मार्सल कलाकार ब्रूसली ने कहा था, “हमेशा अपने वास्तविक रूप में रहो, खुद को व्यक्त करो, स्वयं पर भरोसा रखो, बाहर जाकर किसी और सफल व्यक्ति को मत तलाशो और उसकी नक़ल मत करो।”


एक छात्र के जीवन में निष्ठा की काफी अहमियत है। जो छात्र पूर्ण निष्टा के साथ गुरु को समर्पित हो जाता है वही अर्जुन कहलाता है। परन्तु अर्जुन को धनुर्विद्या में निपुणता केवल गुरु को समर्पण कर प्राप्त नहीं हुआ बल्कि समय-समय पर आत्म-अध्ययन के द्वारा प्राप्त हुई। यह एक प्रकार से स्वयं के प्रति निष्ठा का एक उदाहरण है। अपने सामर्थ्य और ज्ञान का अनुसरण करने पर सफलता अवश्य प्राप्त होती है।

जीवन की सर्वोपरि सफलता इसी बात में है कि मनुष्य अपने प्रति तन-मन-धन से सत्यनिष्टावान रहे। अल्बर्ट आइन्स्टिन को दुनिया पागल समझती थी। संसार को इनकी महानता देर से समझ आयी। परन्तु आइन्स्टिन ने स्वयं को परखने में समय नहीं गवांया। वे अपने व अपने कर्म के प्रति निष्टावान थे। इसी निष्ठा ने संसार को उनकी खोज के आगे नतमस्तक कर दिया। “विद्युत बल्ब का जनक” कहलाने वाले थॉमस अल्वा एडिसन को शुरु में मंत-बुद्धि बालक समझा जाता था, लेकिन अपनी सोच के प्रति निष्टा को कायम रखते हुए अथक परिश्रम के बल पर उन्होंने सारी दुनिया को एक दिन प्रकाशमय कर दिया। राइट बन्धुओं ने इसी निष्टा और विश्वास के दम पर जब हवाई जहाज में बैठकर उड़ान भरे तो पूरी दुनिया आश्चर्य के सागर में डूब गई। सच है, जो व्यक्ति स्वयं के प्रति ईमानदार नहीं रहते वह दुसरों का भी विश्वासपात्र नहीं बन सकता है। वह किसी भी कार्य को समयानुसार पूर्ण नहीं कर पाता और दूसरों से किये वायदे को भी पूर्ण न कर शर्मिन्दगी का पात्र बनता है। ऐसा मनुष्य परिवार, समाज, देश और संसार के मौलिक सिधान्तों को क्षति पहुँचाता है।


यह संसार नश्वर है और कुछ भी यहाँ शाश्वत नहीं। धनी, निर्धन, विद्वान, मूर्ख, निर्बल, बलवान सभी को एक दिन इस संसार से खाली हाथ विदा होना पड़ता है। धन-दौलत, वैभव-विभूति सब यहीं छूट जाता है। यह एक कटु अपितु सत्य वचन है। समय किसी की मोहताज नहीं, इसलिए आवश्यक है जितनी जल्दी हो सके हम सर्वोपरि स्वयं को ईमानदारी के साथ समझे और परखे और अपना कदम आगे बढ़ाएं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी की जीवनी हर किसी के लिए एक प्रेरणा सोत्र है। बचपन में कुसंगति में पड़कर उन्होंने गलतियाँ की जिनका समय रहते उन्हें ज्ञान हुआ और समय गवाएँ बगैर पिता को चिट्टी लिखकर अपनी भूल स्वीकार की। ऐसा साहस वो इसलिए कर पाये क्योंकि वे स्वयं के प्रति ईमानदार थे। उन्होंने स्वयं को जाना और उसी आत्म-साक्षरता के बल पर उन्होंने देश को गौरव पथ पर अग्रसर किया। जीवन तो वास्तव में उन्हीं लोगों का है, जिन्हें देखते ही अथवा जिनसे व्यवहार करने में आत्म-गौरव और अहोभाग्य का अनुभव करते हैं।

संसार के हर किसी स्थान पर हमें ऐसे बहुत से लोग दिख जाते हैं जो अपने धन-वैभव और पद-प्रतिष्ठा के कारण स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते दिखलाई देते हैं जो मात्र एक भ्रम है। लोग भय, लोभ, विवशता अथवा किसी और स्वार्थ की खातिर उन्हें दिखावे का सम्मान देते रहते हैं। व्यक्ति को चाहिए की वह लोभ, मोह आदि विकारों से मुक्त और निरहंकार होकर अपने अन्दर दृष्टि डाले और देखे कि क्या वह अपनी दृष्टि में स्वयं आदरणीय है भी या नहीं। 

इसी विषय पर कबीर दास जी का एक दोहा कहना चाहूँगा;
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।

दोस्तों, क्या आपको नहीं लगता की हमलोग ego की खातिर अपनी बुराइयों को जानने के बावजूद दूसरों की बुराइयाँ ढूंढने में समय लगाते हैं. हम केवल तभी न्याय कर सकते हैं जब हम स्वयं में दूसरों में अंतर न करें. 
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सोमवार, 16 फ़रवरी 2015

चाणक्य की प्रकृति सीख in Hindi


आचार्य चाणक्य
दोस्तों अपनी पहली पोस्ट के शीर्षक के विषय में बहुत विचार किया तो पाया की ब्लॉग के नाम "ज्ञानदर्शनम” को चरितार्थ करने हेतु क्यों न इतिहास के महान आचार्य चाणक्य के सागर रूपी ज्ञान से एक बूँद चुरा कर अपनी प्यास बुझा लूँ।

जरूर पढ़ें - 'सत्य की परिभाषा' - How do you define 'Truth'
आचार्य चाणक्य का मानना है की प्रकृति हमें रोज नया सबक सिखाती है जरुरत है तो बस एक अभिलाषी छात्र बनने की। दोस्तों अक्सर हम अज्ञानवश आपसी वार्तालाप में एक दूसरे के उपहास, क्रोध, घृणा व सम्मान अथवा प्रशंसा के लिये विभिन्न प्राणियों के गुणों को जाने बगैर उनके नामों का प्रयोग करते आये हैं। एक ओर जहां हम अपनी छोटी सोच के चलते इन जीवों के गुणों की पहचान करने में असमर्थ हैं वहीं दूसरी और आचार्य की माने तो “मनुष्य को शेर से एक, बगुले से एक, मुर्गे से चार, कौवे से पाँच और गधे से तीन गुण ग्रहण करना चाहिए।”

जरूर पढ़ें - बुद्धि का बल - Tenali Ramana Special
शेर से सीख: जीवन में कोई भी कार्य चाहे वो बड़ा हो या फिर छोटा, उसे संपन्न करने के लिए अपनी पूरी शक्ति को लगा देना चाहिए।
बगुले से सीख: अपनी इंद्रियों को अपने वश में कर समय और शक्ति को पहचान कर ही अपने सारे कार्य सिद्ध कर लेना चाहिए।

मुर्गे से सीख: सही समय पर जागना, युद्ध के लिये हमेशा तत्पर रहना, बंधुजनों को अपना हिस्सा देना और आक्रामक होकर भोजन करना चाहिए।



कौवे से सीख: छिपकर प्रेमालाप करना, दृणता दिखाना, समयानुसार कार्य पूर्ति करना, सदा खतरों से दूर होकर जागरुक रहना तथा किसी पर विश्वास नहीं करना चाहिए।

कुत्ते से सीख: अधिक खाने की शक्ति रखना, न मिलने पर भी संतुष्ट हो जाना, खूब सोना पर तनिक आहट पर जाग जाना, स्वामीभक्ति और अदम्य साहस चाहिए।

गधे से सीख: काफी थक जाने पर भी भार को उठाना, समय की परवाह नहीं करना और सदा शांतिपूर्ण जीवन बिताना चाहिए।
उपर्युक्त ज्ञानवर्धक बातों से इतना तो स्पष्ट हो ही जाता है की चाणक्य की सोच हर युग की माँग हैं. उनका ज्ञान हर युग (भुत, वर्तमान और भविष्य) में लोगों का मार्गदर्शन करता आ रहा है। तो इसी बात पर मेरे संग बोलिए, “आचार्य चाणक्य की – जय……।”


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