विचारणीय

गीता कहती है - संशयात्मा विनश्यति अर्थात् सदा संशय करनेवाला, दूसरों को संदेह की दृष्टि देखनेवाला, अविश्वासी एवं अनियंत्रित व्यक्ति क्षय को प्राप्त होता है।

रविवार, 16 अगस्त 2015

परिस्थिति की समझ

दोस्तों, आज हम आपसे अपने जीवन की एक छोटी सी घटना का जिक्र करना चाहेंगे जिसने मेरे सोचने के नजरिये को एक नया मोड़ दिया.

बात उन दिनों की है जब मैं अपने घर पर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था. एक दिन एक बच्चा हमारे पास आया जो पढ़ाई में थोड़ा कमजोर था. पिछले अर्धवार्षिक परीक्षा में उसे काफी कम अंक मिले थे जिसका उसे पश्चाताप था इसलिए वार्षिक परीक्षा में अच्छे अंकों की चाह से वह हमारे ट्यूशन में ज्वाइन हो गया. उस बच्चे का नाम दीपक था. मैंने उसे पढ़ाई में होशियार एक बच्चे के बगल में बैठने को कहा जिसका नाम मौली था. दीपक चुपचाप मौली के बगल में बैठ गया.

मौली (दीपक से) – मेरा नाम मौली है और तुम्हारा ?

दीपक (धीमे से) – मैं दीपक हूँ.

मौली – तुम शायद ठीक से नहीं पढ़ते हो इसलिए कम अंक आये हैं. अच्छा ये बताओ कि तुम सुबह कितने बजे उठते हो ?

दीपक – छः बजे उठता हूँ.

मौली – तुम देर तक सोते हो इसलिए तुम्हें कम अंक मिले हैं. अच्छा ये बताओ तुम दिन में कितने घंटे पढ़ते हो ?

दीपक – स्कूल के अलावा एक घंटे और पढ़ लेता हूँ.

मौली – मैं दिन में पाँच घंटे और अतिरिक्त पढ़ता हूँ, इसलिए अधिक अंक आते हैं.

अगले दिन ट्यूशन में दीपक, मौली से दूर जाकर बैठ गया. मौली ने दीपक को पास आने का इशारा किया, परन्तु दीपक शाँत बैठा रहा. ट्यूशन समाप्त हो जाने पर मौली ने दीपक से पास न बैठने का कारण पूछा.

दीपक – जिस व्यक्ति को परिस्थिति की समझ न हो और बिना कारण जाने किसी और व्यक्ति पर दोसारोहण करना शुरु कर दे और हल बताने की बजाय केवल गलतियाँ ढूँढने लगे, उनसे हमेशा दूर रहना चाहिए.

(NOTE: स्कूल के बाद दीपक अधिकतर समय दुकान पर अपने पिता की सहायता में बिताता था और रात के वक्त भी काफी समय तक घर पर अपनी माँ की बुनाई में सहायता करता था जिसकी वजह से रात में काफी देर से दीपक सोता था जिसकी वजह से वह सवेरे देर से उठ पाता था. जैसे-तैसे दिन में वह एक घंटे पढ़ाई के लिए निकाल पाता था.)

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शनिवार, 8 अगस्त 2015

मेहनत की कमाई




एक गाँव में एक व्यापारी रहता था. उसका नाम दिनेश अग्रवाल था. वह काफी मेहनती था. उसका एक बेटा था जिसका नाम सुरेश अग्रवाल था जो अपनी माँ के लाड़-प्यार की वजह से काफी आलसी हो चुका था. काम करने से जी चुराता था. व्यापारी ने कहीं सारे प्रयत्न किए अपने बेटे को सुधारने हेतु परन्तु सब व्यर्थ गया. व्यापारी को दुःख था कि कहीं उसका सारा व्यापार उसके बेटे की आलस की भेंट न चढ़ जाये.

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एक दिन गाँव के किनारे नदी के तट पर एक पेड़ के नीचे साधू को ध्यान में मग्न देख दिनेश उसके पास जाकर उन्हें प्रणाम किया. साधू ने व्यापारी से उसका परिचय और उसके आने का कारण पूछा.

व्यापारी ने बुझे मन से अपने बेटे की आलसी लत से दुःखी होने की बात कह दी.

साधू ने व्यापारी को उसके बेटे सहित अगले दिन आने को कहा. अगले दिन व्यापारी अपने बेटे सहित साधू के पास हाजिर हो गया.

साधू (सुरेश से) – बेटा, यह बताओ कि तुम्हें सबसे अच्छा क्या लगता है.

सुरेश – मुझे बिना काम किये आराम से घर पर रहना बहुत अच्छा लगता है.

साधू – बेटा जब तक तुम्हारे पिता जीवित हैं तब तक तुम उनके कमाए धन पर मौज कर सकते हो परन्तु उसके पश्चात् तुम्हारा क्या होगा.

सुरेश (थोड़ा परेशान होकर) – क्या इसका कोई उपाय है ?

साधू – इसका केवल एक उपाय है. अगर तुम अगले कुछ दिनों तक अपनी कमाई में से एक रुपये मुझे प्रतिदिन शाम के वक्त लाकर दोगे तो फिर तुम्हें जीवन में आगे कभी काम करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.

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सुरेश – केवल एक रूपया ?

साधू – हाँ.

सुरेश राजी हो गया. परन्तु आलस का मारा काम क्यों करता भला. सुरेश ने अपनी माँ को सारी बात बता दी. उसकी माँ नहीं चाहती थी की एक रूपया के लिए सुरेश को पसीना बहाना पड़े. इसलिए शाम के वक्त सुरेश को एक रूपया देकर उसे साधू महाराज को दे आने को कहती.

सुरेश (साधू से) – ये लीजिये महाराज आपका एक रूपया.

साधू – जाओ इसे नदी में फेंक आओ.

सुरेश ने वैसा ही किया और साधू से आज्ञा ले घर की ओर चल पड़ा. अगले कुछ दिनों तक यही प्रक्रिया चलती रही जिसमें सुरेश रोज शाम एक रूपया नदी में फेंक आता था.

परन्तु एक दिन सुरेश की माँ को किसी कारणवश अकस्मात् अपने मायके जाना पड़ा. जल्दी में सुरेश को एक रूपया देना भूल गयी. सुरेश को जब पता चला की उसकी माँ नहीं है तो परेशान हो गया कि आखिर उसे पैसे कौन देंगा.

कहीं कोई उपाय न सूझता देख सुरेश बाजार की ओर चल पड़ा. आखिर वहाँ भी वो क्या करता. उसे कोई भी काम नहीं आता था. तभी उसने देखा की पास में एक व्यापारी कूली के लिए इंतजार कर रहा था जो उसके सारे सामान ढो सके.

सुरेश ने व्यापारी से बोझा उठाने की बात कही, परन्तु व्यापारी इसके लिए केवल पचास पैसे देने को राजी हुआ. सुरेश ने व्यापारी से कहा की उसे एक रूपया दे और इसके लिए सुरेश अतिरिक्त बोझा उठाने को भी राजी हो गया. आखिर जैसे-तैसे सुरेश ने व्यापारी का सामान उसके गंतव्य तक पहुँचा दिया जिसके लिए व्यापारी ने उसे एक रूपया दिया. इस बार एक रूपया को देखकर सुरेश की आँखों में एक गजब की चमक आ गयी.

शाम के वक्त हमेशा की तरह वह साधू महाराज के पास गया. साधू महाराज को इस बार सुरेश थोड़ा थका-हारा सा जान पड़ा. उन्होंने पहले की भांति सुरेश को पैसे नदी में फेंक आने को कहा.

सुरेश ने पैसे नदी में फेंकने से मना कर दिया. साधू ने कारण पूछा.

सुरेश – महाराज, मुझे अपनी भूल समझ आ गयी है. अब तक के व्यवहार के लिए मुझे पश्चात् हो रहा है. सच ही है कि मेहनत की कमाई का स्वाद  ही अलग होता है और इसका महत्व मैंने आज जान लिया है.

दोस्तों, केवल वही व्यक्ति अपने स्वाभिमान को बनाये रख सकते हैं जो अपनी मेहनत के बल पर अपनी राह चुनते हैं.




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मंगलवार, 4 अगस्त 2015

Kalam के उत्तम विचार




दोस्तों, मनुष्य भले ही हमारे बीच न रहे परन्तु उनके उत्तम विचार और मार्गदर्शन हमेशा हमारे साथ रहता है, जरुरी है तो बस उसे समझकर व्यवहार में लाने की. आज हम आपसे हमारे सबसे प्रिय राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के उन महान विचारों को साझा करना चाहेंगे जिसके बलबूते पर उन्होंने इतनी महानता हासिल की.

1. It is very easy to defeat someone, but it is very hard to win someone.
किसी को हराना काफी सरल है, परन्तु किसी को जीतना बहुत ही मुश्किल है.

2. We should not give up and we should not allow the problem to defeat us.
हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए और न ही किसी समस्या को हमें हराने की इजाजत देनी चाहिए.

3. All birds find shelter during a rain. But eagle avoids rain by flying above the clouds. Problems are common, but attitude makes the difference.
बारिश के वक्त सभी पंची अपने लिए छत ढूँड लेते हैं. परन्तु चील बादलों से ऊपर उड़कर बारिश से निजाद पा लेता है. समस्याएँ एक समान होती हैं केवल नजरिया इनमें अंतर ला देता है.

4. Love your job but don’t love your company, because you don’t know when your company stops loving you.
अपने काम से प्यार करो न की अपनी कंपनी से, क्योंकि आप नहीं जानते कब आपकी कंपनी आपको प्यार करना बंद कर दें.

5. When our signature changes to autograph, this marks the success.
जब हमारा हस्ताक्षर, ऑटोग्राफ में बदल जाये तो मान लो सफल हो गए.

6. Let us sacrifice our today so that our children can have a better tomorrow.
चलो हम अपना आज कुर्बान कर दे ताकि हमारे बच्चों के लिए बेहतर कल बन सके.

7. I am not a handsome guy, but I can give my hand-to-someone who needs help. Beauty is in heart, not in face.
मैं कोई खुबसूरत व्यक्ति नहीं, परन्तु मैं अपना हाथ कुछ एक व्यक्ति को दे सकता हूँ जिन्हें मदद की जरुरत है. खूबसूरती दिल में होती है, चेहरे में नहीं.

8. Dreams, is not what you see in sleep. It is the thing which doesn’t let you sleep.
सपने वह नहीं जो हम नींद में देखते हैं. सपने वह हैं जो हमें सोने नहीं देते.

9. Man needs his difficulties because they are necessary to enjoy success.
मनुष्य को मुश्किलों की आवश्यकता पड़ती है ताकि सफलता का मजा ले सके.

10. Don’t read success stories, you will get only message. Read failure stories, you will get some ideas to get success.
सफलता वाली कहानियाँ न पढ़े, इनसे केवल आपको सन्देश मिलेगा. असफलता वाली कहानियाँ पढ़े, इनसे आपको सफलता को प्राप्त करने के कुछ उपाय मिलेंगे.

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धन्यवाद......