विचारणीय

गीता कहती है - संशयात्मा विनश्यति अर्थात् सदा संशय करनेवाला, दूसरों को संदेह की दृष्टि देखनेवाला, अविश्वासी एवं अनियंत्रित व्यक्ति क्षय को प्राप्त होता है।

शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2015

मूल्य Value



बहुत समय पहले की बात है. एक गाँव में अमित अगरवाल नाम का एक युवक रहता था. काफी मिलनसार एवं मृदु स्वभाव का व्यक्ति था. वह काफी समझदार भी था. परन्तु काफी प्रयत्नों के बावजूद उसे अपने व्यवसाय में सफलता नहीं मिल पा रहा था.


एक दिन वह मंदिर की ओर जा रहा था, मार्ग में उसे एक बुढ़िया मिली जो एक पेड़ के नीचे बैठकर एक कपड़े पर कुछ लिख रही थी. अमित नजदीक जाकर उस बुढ़िया से कहता है, “दादी अम्मा, ये क्या लिख रही हो ?”


बुढ़िया मुस्कुराकर कपड़े की ओर इशारा करती है. 


उस कपड़े पर लिखा था “मूल्य दो समाधान लो.”


अमित – क्या मूल्य चुकाने पर किसी भी समस्या का समाधान मिल जायेगा.


बुढ़िया – हाँ, हर एक समस्या के समाधान के लिए हमें कुछ-न-कुछ मूल्य चुकाना पड़ता है.


अमित ने अपने व्यवसाय में सफलता नहीं मिल पाने के विषय में बुढ़िया को बताया और उसका समाधान माँगा.


बुढ़िया – इसके लिए तुम्हें मेरी तीन सलाह माननी होगी और प्रत्येक सलाह के लिए तुम्हें मूल्य स्वरुप पैसे चुकाने होगें. मंजूर हो तो कहो वरना अपनी राह नापो.


अमित राजी हो गया. बुढ़िया ने अमित से पहले कुछ पैसे लेने के बाद उसे पहला उपाय बताया और उसे अगले एक महीने तक पालन करने को कहा. अगले एक महीने तक उसने बुढ़िया की बातों का अनुसरण किया जिसका उसे अच्छा नतीजा भी मिलना शुरु हो गया.


इसी प्रकार बुढ़िया ने अगले दो महीने में अमित को दो और उपाय बताकर उसके बदले कुछ और पैसे ले लिए. पहले की भांति अगले दो महीने तक उसने बुढ़िया की बातों का अनुसरण किया जिसके कारण अब अमित का व्यवसाय तरक्की करने लगा.


उसके कुछ दिनों पश्चात् एक दिन अमित उस बुढ़िया के पास आया और बुढ़िया से पूछा -  आपने जो तीन सलाह मुझे दी थी उसे तो मैं बचपन से अपने बड़ों से सुनता आ रहा हूँ. ऐसी सलाह के लिए आपने मुझसे पैसे क्यों लिए.


बुढ़िया - तुम्हें मेरी द्वारा दी गयी सलाहों का ज्ञान पहले से था परन्तु तुमने इनका अनुसरण कभी नहीं किया. परन्तु जब मैंने तुमसे प्रत्येक सलाह के बदले मूल्य स्वरुप पैसे लिए तब तुमने इनका अपने जीवन में अनुसरण किया और आज तरक्की की ओर अपना कदम बढ़ाते जा रहे हो. जो मूल्य चुकाता है उसके लिए मूल्य का अर्थ भी भिन्न होता है.


बुढ़िया की सलाह:

१) स्वंय पर विश्वास रखो.

२) अपना काम स्वंय करो.

३) परिश्रम से मुँह मत मोड़ो.

सच ही कहा है, मुफ्त में मिली चीजों को हम महत्व नहीं देते फिर चाहे वो पानी हो, हवा हो, भोजन हो या फिर ज्ञान.

अगर आपको ये आर्टिकल पसंद आये तो अपने मित्रों और परिजनों से ट्विटर अथवा फेसबुक पर अवश्य share करें.