विचारणीय

गीता कहती है - संशयात्मा विनश्यति अर्थात् सदा संशय करनेवाला, दूसरों को संदेह की दृष्टि देखनेवाला, अविश्वासी एवं अनियंत्रित व्यक्ति क्षय को प्राप्त होता है।

शनिवार, 30 जनवरी 2016

बापू के अनमोल बोल Golden words of Gandhi


आज हमारे राष्ट्रपिता मोहनदास करमचन्द गाँधी जिन्हें प्यार से बापू कहकर पुकारते हैं, उनकी 68वीं पुण्यतिथि है जिसे हर वर्ष 30 जनवरी को ‘शहीद दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. गाँधीजी के विचार हम सबके लिए हमेशा से प्रेरणा का श्रोत रहा है. उनके विचारों को आप लोगों से साझा करना एक प्रकार से ये मेरी ओर से बापू के लिए श्रदांजलि है.

1) You must be the change you wish to see in the world.
आप स्वंय वह बदलाव बनिए, जिसे आप दुनिया में देखना चाहते हैं.

2) If I am to die by the bullet of a mad man, I must do so smiling. There must be no anger within me. God must be in my heart and on my lips.
अगर मुझे एक पागल व्यक्ति की गोलियों से मरना पड़े तो मैं मुस्कुराते हुए ऐसा करना चाहूँगा. मेरे भीतर कोई क्रोध नहीं होगा. ईश्वर मेरे दिल में और मेरे जुबान पर होगा.

3) First they ignore you then laugh at you, then they fight you, then you win.
पहले वे आपको अनदेखा करेंगे, फिर आप पर हसेंगे, फिर आप से लड़ेंगे, फिर आप जीत जायेंगे.

4) There is no god higher than truth.
सच्चाई से बड़कर कोई भगवान नहीं.

5) The future depends on what we do in the present.
भविष्य हमारे आज के किये कर्म पर निर्भर है.

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6)  The weak can never forgive. Forgiveness is the attribute of the strong.
कमजोर कभी क्षमा नहीं कर सकता. क्षमादान ताकतवर की पहचान है.

7) Where there is love, there is life.
जहाँ प्रेम है, वहाँ जीवन है.

8) I came alone in this world, I have walked alone in the valley of the shadow of death, and I shall quit alone when the time comes.
मैं अकेले इस दुनिया में आया था, मैं अकेले मौत की छाँव वाली घाटियों में चला हूँ, और जब समय आयेगा अकेले ही विदा लूँगा.

9) Live as if you were to die tomorrow; learn as if you were to live forever.
जीओ ऐसे की कल मौत आने को है; सीखो ऐसे की हमेशा आपको जीना है.

10) My life is my message.
मेरा जीवन ही मेरा सन्देश है.

11) It is health that is real wealth and not pieces of gold and silver.
स्वास्थ्य ही असल संपत्ति है न की सोने और चाँदी के टुकड़े.

12) There are many causes that I am prepared to die for but no cause that I am prepared to kill for.
मरने के लिए मेरे पास कहीं सारी वजहें हैं परन्तु किसी को मारने के लिए मेरे पास कोई वजह नहीं है.

13) Ahimsa is the source for the great thoughts to become complete as an action.
अहिंसा महान विचारों को कर्म में रूपांतरित करने का श्रोत है.

14) A man is but, the product of his thoughts. What he thinks, he becomes.
एक व्यक्ति अपने विचारों का उत्पाद है. जो वह विचार करता है वह बन जाता है.

15) A successful bloody revolution can only mean further misery for the masses.
एक सफल खुनी विद्रोह भविष्य में लोगों को और दुःख पहुँचाता है.

16) Power is of two kinds. One is obtained by the fear of punishment and the other by acts of love. Power based on love is a thousand times more effective and permanent then the one derived from fear of punishment.
सत्ता दो प्रकार के हैं. एक सजा के डर से प्राप्त किया जाता है और दूसरा प्रेम के पथ पर चलकर. प्रेम पर आधारित सत्ता सजा के डर से प्राप्त सत्ता से हजारों गुना प्रभावकारी और स्थायी होता है.

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शनिवार, 23 जनवरी 2016

सुभाषचंद्र बोस से जुड़ी रोचक जानकारियाँ Interesting facts about Subhash Chandra Bos


1) सुभाषचंद्र बोस भारत के स्वतंत्रता  संग्राम के अग्रणी नेताओं में एक थे जिनका जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक जिले में एक बंगाली परिवार में हुआ था.

2) बोस के पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था. पिता कटक के मशहूर वकील थे जिन्हें अंग्रेज सरकार ने “राय बहादुर का किताब” दिया था.

3) जानकीनाथ बोस एवं प्रभावती की कुल मिलाकर  14 संतानें थी, जिसमें 6 बेटियाँ और 8 बेटे थे. सुभाषचंद्र बोस उनकी नौवीं संतान और पाँचवें बेटे थे.

4) सुभाषचंद्र बोस एक मेधावी छात्र थे परन्तु वे अंग्रेजी शिक्षा को सही नहीं मानते थे. उनके पिता ने उन्हें समझाया कि देश का भला करना हो तो अंग्रेजों से प्रशासनिक पद छीनने होंगें. इसी से प्रेरित होकर वे इंग्लैंड में जाकर I.C.S. की परीक्षा उत्तीर्ण की और चतुर्थ स्थान हासिल किया. परन्तु देश भक्ति की भावना से प्रेरित हो बोस ने बाद में उच्च-अधिकारी पद से त्यागपत्र दे दिया.

5) कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जब नेताजी ने जापान और जर्मनी से मदद के लेने की कोशिश की थी तो अंग्रेज सरकार ने खुफ़िया एजेंटों को 1941 में उन्हें खत्म करने का आदेश दिया था.

6) द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, सुभाषचंद्र बोस ने एक मजबूत क्रांति द्वारा देश को स्वतंत्र कराने के लिए 21 अक्टूबर, 1943 को जापान के सहयोग से “आज़ाद हिन्द फौज” का गठन किया था.

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7) “कदम-कदम बढ़ाये जा, खुशी के गीत गाए जा” – आज़ाद हिन्द फौज का वह गीत था जिसे गुनगुना कर इस फौज के सेनानी जोश और उत्साह से भर उठते थे. वर्ष 1943 से 1945 तक “आज़ाद हिन्द फौज” ने अंग्रेजों से युद्ध में लोहा लेते रहे और अंग्रेजों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि भारत में अब उनका भविष्य समाप्त होने वाला है.

8) सुभाषचंद्र बोस द्वारा दिया गया “जय हिन्द” का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है.

9) “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा” का नारा भी सुभाषचंद्र बोस का ही दिया हुआ है.

10) नेताजी की मृत्यु पर से रहस्य अभी भी कायम है. उनकी मृत्यु हवाई दुर्घटना में मानी जाती है. जापानियों के मुताबिक, दूसरे विश्व युद्ध में जापान की पराजय के बाद दक्षिण पूर्वी एशिया से भागते हुए एक हवाई दुर्घटना में 18 अगस्त, 1945 को नेताजी की मृत्यु हो गई. कुछ अन्य का मानना है कि उन्हें बाद में रूस में नजरबन्द कर दिया गया था.

11) गाँधीजी ने कहा था कि उनका अंतर मन यह स्वीकारने को तैयार नहीं की नेताजी की मृत्यु विमान दुर्घटना में हुई.

12) 16 जनवरी 2014 को कोलकाता हाई कोर्ट ने सुभाषचंद्र के लापता होने से जुड़े खुफिया जानकारियों को सार्वजनिक करने से सम्बंधित  जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए एक स्पेशल बेंच के गठन का आदेश दिया था जिसके चलते पिछले साल पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने कुछ दस्तावेजों को सार्वजनिक करने का साहस दिखाया.

13) परन्तु भारत सरकार ने अब तक नेताजी की मृत्यु से सम्बंधित जानकारियों को सार्वजनिक नहीं किया है. नेताजी के परिवार वालों ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से इन जानकारियों को सार्वजनिक करने की अपील की है और जवाब में मोदी जी ने भी सकारात्मक रवैया अपनाते हुए नेताजी के जन्म दिन के शुभ अवसर पर यानि 23 जनवरी, 2016 को उन दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की बात कही और अपना वादा पूरा किया. मोदी जी ने नेताजी पोर्टल लॉच किया और नेताजी से जुड़े फाइलों को सार्वजनिक कर दिया गया. पूरी जानकारी के लिए आप लॉग ऑन करें netajipapers.gov.in जिसमें आपको फ़िलहाल नेताजी से जुड़े 100 फ़ाइलें पढ़ने को मिल जायेंगे.

14) सुभाष चंद्र बोस को 1992 में मरणोपरांत भारत-रत्न से सम्मानित किया गया था जिसे बाद में वापिस भी ले लिया गया था.

15) कुछ लोगों का मानना है कि बोस की अस्थियाँ अभी भी जापान के रैन्कोजी मंदिर में एक पुजारी ने सम्हाल कर रखी हुई है.

16) गाँधीजी को राष्ट्रीय पिता कहकर पुकारने वाला सबसे पहला व्यक्ति स्वंय सुभाषचंद्र बोस ही थे.

17) गाँधीजी ने भी सुभाष की देश की आज़ादी के प्रति लड़ने की भावना देखकर ही उन्हें “देशभक्तों का देशभक्त” कहा था.

18) बोस ने ही दुनिया की पहली महिला फौज का गठन किया था.

19) सुभाषचंद्र बोस को नेताजी कहने वाला पहला व्यक्ति एडोल्फ हिटलर था.

20) सुभाष की मेहनत और सफलता देख देशबंधु ने कहा था – “मैं एक बात समझ गया हूँ कि तुम देश के लिए रत्न सिद्ध होगे.”

दोस्तों आपको ये पोस्ट कैसा लगा जरुर बताइएगा.

जय हिन्द........

बुधवार, 13 जनवरी 2016

मकर संक्रांति - पतंगों का त्यौहार The festival of Kites

सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश को ही संक्रांति कहते हैं। हर दो संक्रांतियों के बीच एक महीने की अवधि का अंतर होता है जिसे साल के अलग-अलग महीनों में बाँटा गया है जिनमें मेष, कर्क, तुला और मकर को प्रमुख माना गया है।

मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है अर्थात् इस दौरन सूर्य दक्षिण के बजाय उत्तर को गमन करने लगता है तब उसकी किरणों का प्रभाव सेहत और शांति की दृष्टि से शुभ माना गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी मकर संक्रांति के दौरान सूर्य के उत्तरायण में गमन करने से होने वाले लाभ का वर्णन श्रीमद् भगवत् गीता में किया है।

मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर स्नान, दान व पुण्य का विशेष महत्व है। इस अवसर पर गुड़ व चना लेकर नदी में स्नान करना लाभकारी बताया गया है।

मकर संक्रांति पूरे भारतवर्ष में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस त्योहार विशेषता है पतंगबाजी जो इस त्योहार का प्रयाय् सा बन चुका है।

सभी का प्यारा पतंग त्योहार नजदीक है जिसके लिए रंग-बिरंगे पतंग तैयार हो रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि पतंग उड़ाने की परंपरा चीन में शुरू हुई थी जबकि भारत में रामायण काल से ही पतंग उड़ाये जाने की बात का पता चलता है।

पतंग का जीवन भले ही अल्प काल का हो परंतु हम सबको सम्पूर्ण जीवन अपनी नजरें ऊपर उठाकर सम्मानपूर्वक जीवन जीने की शिक्षा देती है।

अब मैं आपको पतंबाजी से जुड़े कुछ रोचक मान्यताओं के बारे में बताना चाहूँगा -

# भारत में पतंगबाजी का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। तुलसीदासजी ने भी रामचरित मानस में पतंग का वर्णन करते हुए लिखा था - "राम इक दिन चंग उड़ाई, इंद्रलोक में पहुँची जाई।"

# गुजरात का अहमदाबाद पतंगबाजी के लिए विश्वप्रसिद्ध है। यहाँ हज़ारों की संख्या में लोग देश-विदेश से प्रतिवर्ष 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित अंतराष्ट्रीय पतंग महोत्सव का लुत्फ लेने आते हैं।

# भारत के अन्य राज्यों में भी परंपरा अनुसार यह उत्सव बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दौरान पूरा आसमान जैसे एक रंग-बिरंगी छतरी के नीचे आ गया सा प्रतीत होता है। भारतीय पतंगों को विदेश में लड़ाकू पतंग के नाम से जाना जाता है।

# मुगल काल में बादशाह व शहजादे भी पतंगों के पेंच लड़ाने की प्रतियोगिता का आयोजन करते और उसमें हिस्सा भी लेते थे।

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# लाहौर (पाकिस्तान) में भी पतंगबाजी का खेल बड़े उत्साह के साथ खेलते हैं।

# हैदराबाद (भारत) में पतंगबाजी का यह खेल निजाम के काल से खेला जा रहा है जिसमें स्वयं निजाम भी हिस्सा लेते थे।

# अधिकतर इतिहासकारों की माने तो पतंगों का अविष्कार चीन में हुआ था। चीन में पतंगबाजी का इतिहास 2000 हजार वर्ष पुराना है। चीन में प्रति वर्ष 9 सितंबर को पतंग उत्सव मनाया जाता है जिसमें लोगों का उत्साह देखते ही बनता है।

# कुछ अन्य इतिहासकारों का मानना है कि पतंगबाजी फारस की देन हैं वहीँ ग्रीक इतिहासकार इसे 2500 वर्ष पुराना मानते हैं।

# जापान में प्रति वर्ष मई के महीने में पतंगबाजी की प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती है। जापान में रोकाकू पतंग की भव्यता सबको मंत्रमुग्ध कर देती है।

# इसके अलावा अमेरिका, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, चिली, इटली, मलेशिया, इंडोनेशिया में भी पतंग उत्सव का भव्य समारोह आयोजित किया जाता है ।

हर जगह समय की सहूलियत व विशेष दृष्टि से पतंगबाजी के लिए विशेष समय निर्धारित की गयी है जिससे भिन्न-भिन्न देशों से आये लोग भाग ले सके। सभी के अपने तौर-तरीके है परंतु सबका एकमात्र उद्देश्य है आपसी भाईचारा और प्रेम को बढ़ाना।

दोस्तों, आप सबको मेरी ओर से मकर संक्रांति एवं पतंग महोत्सव की ढेरों शुभकामनायें।

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दोस्तों, यदि आपके पास कोई रोचक एवं प्रेरक प्रसंग अथवा कहानी है जो आप ज्ञानदर्शनम् के पाठकों से शेयर करना चाहते हैं तो कृपया अपनी फोटो एवं कहानी pgirica@gmail.com पर भेज दीजिये।

धन्यवाद lll

मंगलवार, 5 जनवरी 2016

अनमोल जीवन Precious LIFE

तूफान के गुजर जाने का इंतजार नहीं बल्कि तूफान से गुजरने का हौसला रखना है जिंदगी। जिंदगी को शरीर से जिया जाता है परंतु शरीर पर नियंत्रण हमारे विचारों का होता है। इसलिए अगर हम अपनी बुद्धि को सही राह पर ले आये तो जीवन में बाकि सब अपने आप सही हो जायेगा।

अगर आपकी दृष्टि अच्छी हो तो सारा संसार आपको अच्छा लगने लगता है वही अगर आपकी वाणी अच्छी हो तो सारे संसार को आप अच्छे लगेंगे।

हम जिस तरह से दुनिया को देखते हैं वह उसी प्रकार दिखता है। हम जिस तरह से औरों से व्यवहार करते हैं उसी प्रकार लोगों का व्यवहार हमारे लिए होता है। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक न्यूटन की माने तो "हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है।"

किसी कारणवश कोई आपका दिल दुखाये तो बुरा मत मानो क्योंकि जिस वृक्ष में फल अधिक होते हैं उसे ही पत्थर खाना पड़ता है। आप जितना दर्द सहेंगे उतना ही अधिक आप मजबूत बनकर उबरेंगे।

आप किसी से कोई आशा न रखे। क्योकिं आपकी आशा जितनी बड़ी होगी उतनी ही बड़ी निराशा उस आशा की पूर्ति न होने पर होगी। अगर आपके पास कोई अच्छा सुझाव अथवा जानकारी है तो आप लोगों से साझा कर सकते हैं पर आपके सुझाव को हर कोई स्वीकार कर ले ये जरुरी नहीं। सभी की अपनी अलग राय और विचार होते हैं। विचारों के आदान-प्रदान के बाद निर्णय लेते वक्त परिस्थितियों की मांग पर जरूर गौर करें आपको निर्णय लेने में आसानी होगी।

जीवन में बदलाव की आशा रखने वालों से निवेदन है कि पहले वो विकल्पों को चुनने का साहस करें और जिस विकल्प को चुने उसे पूरा करें ताकि आपके जीवन में बदलाव हो।

अपने जीवन को भरपूर आनंद से जिये। औरों से तुलना करना गलत होगा। एक उत्तम जीवन को जीने के बजाय एक खुशहाल जीवन जीने की बात करें।

जीवन में कोई भी क्षण उत्तम व श्रेष्ठ नहीं होता है। अगर आपका बस चले तो आप हर क्षण को उत्तम बना सकते हैं। कितने वर्षों तक जीवन जिया ये बड़ी बात नहीं है बल्कि किस प्रकार जिया ये बड़ी बात है।

हर कहानी का अंत होता है परंतु जीवन में हर कहानी का अंत एक नयी शुरुआत की ओर अपना कदम बढ़ाने का इशारा हैै। जीवन को नदी की धारा की तरह बहने दे, रोके नहीं।

अगर अतीत में आपसे कोई गलती हो गयी हो तो उसे सुधारने के लिए आपको अतीत में जाने की आवश्यकता नहीं है परंतु भविष्य में ऐसी गलती को न दोहराकर एक नई शुरुआत अवश्य कर सकते हैं ताकि एक उत्तम अंत को देख सके। स्वंय महात्मा बुद्ध ने कहा था - जब जागा तभी सवेरा। जीवन के नए अध्यायों को अगर पढ़ना हो तो पुराने, पढ़ चुके अध्याय को पढ़ते रहना मूर्खता होगी। आपका आने वाला कल तब तक उत्तम नहीं हो सकता जब तक आप अपने बीते हुए कल के बारे में सोचना नहीं छोड़ देतेे।

जीवन में विश्वास की बड़ी एहमियत है। परंतु ये विश्वास एक रबड़ की तरह होता है जिसका आकार आपके प्रत्येक भूल पर छोटा होता जाता है। जीवन के इन्हीं भूलों से हमें बहुत सी सीख भी मिलती है।

जीवन एक सिक्के की भाँति होता है। इसे आप अपने मन-मुताबिक खर्च कर सकते हैं परंतु केवल एक बार। ये आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप इसे किस कार्य की पूर्ति के लिए खर्च करना चाहते हैं।

जीवन में हर क्षण हम कुछ न कुछ सीखते हैं और अपने अनुभवों को बढ़ाते हैं। मेरा निवेदन है कि आप अपने अनुभवों और ज्ञान का पूरा इस्तेमाल करें ताकि अंत में आपको इस बात का गम न रहे कि आपका यह ज्ञान एक कूड़े की भाँति कूड़ेदान में यूँ ही पड़ा रह गया।

जीवन के संघर्ष के दिनों का शुक्रिया अदा करें। ये आपको भविष्य के लिए तैयार करता है और आपको पहले से अधिक मजबूत बनाता है। जीवन में सफलता का द्वार असफलता से होकर गुजरने पर ही मिलता है।

अगर कोई वस्तु आपको अत्यधिक मात्र में चाहिए तो इसके लिए दो ही तरीके हैं। एक, उस वस्तु को धीरे-धीरे लगातार इकठ्ठा करना शुरू कर दे और दूसरा, अपनी इच्छाओं पर लगाम लगाये।

जीवन में हर कोई अगर आपसे प्रसन्न हैं तो इसका केवल एक ही अर्थ है कि आपने अपने जीवन में बहुत सारे समझौते किये हैं। वहीँ अगर आप हर किसी से प्रसन्न हैं तो इसका अर्थ है कि आपने उन सब की गलतियों को नजरअंदाज कर दिया है। वैसे जीवन में तीन व्यक्तियों को कभी-भी भुलाना नहीं चाहिए। एक, जिसने मुश्किल घडी में आपका साथ दिया। दूसरा, जिसने ऐसी घडी में आपका साथ छोड़ा और जिसने आपको इस मुश्किल में डाला।

समझदार व्यक्ति के लिए जीवन एक स्वप्न है, मुर्ख के लिए यह एक खेल है, धनवान के लिए व्यंग्य है और गरीब के लिए दुख के बराबर है।

जीवन में कभी धैर्य नहीं खोना चाहिए। एक दरवाजा अगर बंद हो जाये तो निराश होने की आवश्यकता नहीं है। जहाँ एक द्वार बंद होता है वहाँ कहीं अन्य द्वार खुल जाते हैं। परंतु दुर्भाग्य की बात यह है कि हम उस बंद दरवाजे के दुबारा खुलने की बड़ी बेसब्री से इंतजार में अन्य खुले दरवाजे को नजरअंदाज कर देते हैं और फिर किस्मत पर रोते हैं।

अगले एक वर्ष में क्या होगा अथवा अगले एक महीने में क्या होगा, यह सोचने की बजाय आप यह सोचे की आप के पास अगला 24 घंटा शेष है और इस 24 घंटे में अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अपना उत्तम प्रदर्शन करना है।

जीवन में ईमानदारी जरूरी है। ईमानदारी का मतलब ये नहीं कि आपको जीवन में सबकुछ मिल जाएगा परंतु जो भी मिलेगा वो आपके लिए सही होगा।

जीवन को भरपूर जिए। छोटी-छोटी खुशियों को अनदेखा न करें वरना एक समय ऐसा भी आएगा जब आप पीछे मुड़कर देखेंगे तो पाएंगे जिसे आप छोटा समझते थे वो कितना बड़ा हो चुका है।

दोस्तों, जीवन में कहीं सारे संघर्ष रहते हैं परंतु इसकी जटिलता को भी हम स्वंय ही रचते हैं। अगर आपको किसी की याद सताती है तो उनसे बात करें। अगर आपको लगता है कि कोई आपको नहीं समझ रहा है तो पहले उन्हें समझने का प्रयत्न करें। अगर किसी से मिलने की इच्छा हो तो उन्हें न्योता दे। मन में कोई सवाल हो तो पूछ ले। कोई ख्वाहिश हो तो कह दे। अगर आप किसी से प्रेम करते हैं तो उन्हें बताईये। जीवन सरल है और वह भी केवल एक ही बार मिलता है इसे और जटिल न बनाये।

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आप सबको नववर्ष की ढेरों शुभकामनाएँ।