विचारणीय

गीता कहती है - संशयात्मा विनश्यति अर्थात् सदा संशय करनेवाला, दूसरों को संदेह की दृष्टि देखनेवाला, अविश्वासी एवं अनियंत्रित व्यक्ति क्षय को प्राप्त होता है।

मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

नेताजी सुभाष के अनमोल विचार Golden words of Subhashchandra Bose


अगर भारत के स्वतंत्रता सेनानियों की बात करें तो सुभाषचंद्र बोस ही एकमात्र ऐसे नेता रहे हैं जो गाँधी के समतुल्य हैं, ऐसा कहा जा सकता है. परन्तु यह हमारी बदकिस्मती ही है कि हमारे इतिहास के पुस्तकों में नेताजी को एक उपेछित स्वतंत्रता सेनानी का तमगा मिला है. बापूजी और नेताजी के विचारों में फर्क भले हो परन्तु दोनों एक दूसरे की देश भक्ति के कायल थे. अगर आप ध्यान पूर्वक नेताजी के विचारों का विश्लेषण करें तो पाएँगे कि उनकी वाणी और करनी में कोई अंतर नहीं. उनके भाषण देशभक्ति एवं भाईचारा से प्रेरित होते थे.

* राष्ट्रवाद मानव जाति के उच्चतम आदर्शों सत्यम्-शिवम्-सुन्दरम् से प्रेरित है.

* मैं लोगों पर नहीं उनके मनों पर राज्य करना चाहता हूँ. उनका हृदय सम्राट बनना चाहता हूँ.

Interesting facts about subhash chandra bose in  hindi
http://gyandarshanam.blogspot.com/2016/01/interesting-facts-about-subash-chandra-bose.html

* चितरंजन दास जी के परामर्श पर सुभाषचंद्र बोस देश भ्रमण को गए और निष्कर्ष निकाला – “हमारी सामाजिक स्थिति बदतर है, जाति-पाँति  तो है ही, गरीब और आमीर की खाई भी समाज को बाँटे हुए है. निरक्षरता देश के लिए सबसे बड़ा अभिशाप है. इसके लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है.”

* कांग्रेस के एक अधिवेशन में सुभाषचंद्र बोस ने कहा था – “मैं अंग्रेजों को देश से निकालना चाहता हूँ. मैं अहिंसा में विश्वास रखता हूँ किन्तु इस रास्ते पर चलकर स्वतंत्रता काफी देर से मिलने की आशा है.”

* इतिहास में कभी भी विचार-विमर्श से कोई वास्तविक परिवर्तन हासिल नहीं हुआ है.

* स्वतंत्रता बलिदान चाहती है. आपने आज़ादी के लिए बहुत त्याग किया है, किन्तु अभी प्राणों की आहुति देना शेष है. आज़ादी को आज अपने शीश फूल चढ़ा देने वाले पागल पुजारियों की आवश्यकता है. ऐसे नौजवानों की आवश्यकता है जो अपना सिर काट कर स्वाधीनता देवी को भेंट चढ़ा सकें.

* तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा.

* याद रखिये सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है.

* मैं अपने देश भारत और भारतवासियों को स्वतंत्र कराने की प्रतिज्ञा करता हूँ.

* जब अंग्रेज नेताजी को माँडले जेल में कैद करने ले गए तब नेताजी ने कहा – “मैं इसे आज़ादी चाहने वालों का तीर्थ स्थल मानता हूँ. मेरा सौभाग्य है कि जिस स्थान को तिलक, लाला लाजपत राय आदि क्रांतिकारियों ने पवित्र किया, वहाँ मैं अपना शीश झुकाने आया हूँ.”

* प्रांतीय ईर्ष्या-द्वेष दूर करने में जितनी सहायता हिंदी प्रचार से मिलेगी दूसरी किसी चीज से नहीं.

* मुसलमानों के विषय में सुभाष कहते – “मुसलमान इस देश से कोई अलग नहीं हैं. हम सब एक ही धारा में बह रहे हैं. आवश्यकता है सभी भेदभाव को समाप्त कर एक होकर अपने अधिकारों के लिए जूझने की.”

* नेताजी के ए.डी.सी. कर्नल हबीब उर रहमान के मुताबिक नेताजी ने अपने अंतिम पलों में उनसे कहा – “जब तुम अपने मुल्क वापस जाओ तो मुल्क के भाइयों को बताना की मैं आखिरी दम तक मुल्क की आज़ादी के लिए लड़ता रहा हूँ. वो जंग-ए-आज़ादी को जारी रखें. हिन्दुस्तान जरुर आज़ाद होगा, उसे कोई गुलाम नहीं रख सकता है.”

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