![]() |
अप्रैल फूल्स डे |
1 अप्रैल को विश्व में 'April Fools Day' या 'अप्रैल फूल्स डे' मनाया जाता है। इस नाम में ही इस दिन को मनाने का एक उद्देश्य का भी पता चलता है। इस नाम में ही हँसी छिपी हुई है जो कुदरत का दिया एक अनमोल तोहफा है।
भारत में भी यह खूब प्रचलित हो गया है। यहाँ इसे 'अंतराष्ट्रीय मुर्ख दिवस' के रूप में मानते हैं। इस दिन लोग एक दूसरे को मुर्ख बनाने का प्रयत्न करते हैं और जो मुर्ख बन गया उसे 'अप्रैल फूल' कहकर संबोधित करते हैं। यहाँ मुर्ख बनाने का अर्थ हल्के-फुल्के व्यंग्य, मनोरंजन अथवा व्यंग्यात्मक कार्यों से है।
क्या आपको पता है 'अप्रैल फूल्स डे' की शुरुआत कब, कहाँ और कैसे हुई ?
'अप्रैल फूल्स डे' की शुरुआत फ्रांस में हुई थी जब पोप चार्ल्स IX ने पुराने कैलेंडर की जगह नये रोमन कैलेंडर को मान्यता दी और उसके मुताबिक नववर्ष 1 जनवरी को मनाया जाने लगा।
पहले नववर्ष 1 अप्रैल को मनाया जाता था परंतु वर्ष 1582 से 1 जनवरी को नववर्ष मनाया जाने लगा।
परंतु जो लोग इस बदलाव से अनजान थे उनलोगों ने पहले की भाँति 1 अप्रैल को नववर्ष मनाया और उस समय लोगों ने उन्हें 'अप्रैल फूल्स' कहकर पुकारा। तब से यह प्रथा चली आ रही है।
डेनमार्क में 'अप्रैल फूल्स डे' 1 मई को जोरों-शोरों से मनाया जाता है जिसे वे 'मज-कट' के नाम से पुकारते हैं।
जरूर पढ़ें - 'मूर्खाधिराज' - Akbar Birbal Special
इस दिन फ्रांस, इटली और बेल्जियम में लोग एक दूसरे के पीछे चुपके से कागज से बनी मछली को चिपका देते हैं जो आज मनोरंजन का एक जरिया भी बन गया है।
ईरानी लोग 'सिज़दाह बे-दर' के दिन जो कि पारसियों के नववर्ष का 13वां दिन है, जिसे 1अथवा 2 अप्रैल को मनाया जाता है, इस दिन वे एक-दूसरे पर व्यंग्य कसते हैं।
स्पैनिश भाषा बोलने वाले देश हर वर्ष 28 दिसंबर को 'Day of Holy Innocents' अर्थात 'मासूमों का पवित्र दिवस' मानते हैं।
तो दोस्तों इस तरह 'अप्रैल फूल्स डे' विश्व के अलग-अलग देशों में अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है जिसका एकमात्र उद्देश्य है हँसना और हँसाना।
दोस्तों, अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया हो तो आज के दिन अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से जरूर शेयर करें।
धन्यवाद ।।।।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें