विचारणीय

गीता कहती है - संशयात्मा विनश्यति अर्थात् सदा संशय करनेवाला, दूसरों को संदेह की दृष्टि देखनेवाला, अविश्वासी एवं अनियंत्रित व्यक्ति क्षय को प्राप्त होता है।

सोमवार, 16 मार्च 2015

गुप्त रखना गुरु मंत्र है A key to success




"रहिमन निज मन की व्यथा मन ही रखिये गोय,
सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटी न लैहै कोय."
   कविवर  रहीम जी.

अर्थात्, हमें अपने मन की बातें मन में ही सजोकर रखनी चाहिए. इसे किसी अन्य से बाँटनी नहीं चाहिए क्योंकि आपकी बातें (दुःख, कमजोरी इत्यादि) सुनकर प्रसन्न होने वाले बहुत मिल जायेंगे परन्तु बाँटने वाला 
कोई भी नहीं मिलेगा.

रहीम जी अपने समय के न केवल एक महान कवि थे बल्कि एक श्रेष्ट पथ-प्रदर्शक, समाज-सुधारक भी थे. उन्होंने यह दोहा कहीं शताब्दी पहले कहा था परन्तु इसकी प्रासंगिकता आज भी उतनी ही जान पड़ती है. ठीक यही बात आचार्य कौटिल्य पर भी लागू  होती है.

सबसे बड़ा गुरु-मंत्र है –
“अपने गुप्त रहस्यों को किसी के सामने प्रकट मत करो. यह तुम्हें नष्ट कर देगा”
चाणक्य (कौटिल्य).

अक्सर हम जाने-अनजाने अपने मन की बातें उनलोगों पर प्रकट कर देते हैं जो हमसे मीठी-मीठी, चिकनी-चुपड़ी बातें करते हैं. भविष्य में अगर आपका इन लोगों से कोई कलेश हो जाये तो फिर वही लोग आपकी बातें सार्वजनिक कर देते हैं. उस वक्त हमें अपनी भूल पर पछतावा होता है. कहीं बातें ऐसी होती है जिन्हें हम औरों से नहीं बाँट सकते. यदि ऐसा करते हैं तो हँसी का पात्र बनने की सम्भावना भी बढ जाती है.

"स्वंय अपनी कमजोरी को कभी भी उजागर न करें"
चाणक्य(कौटिल्य).

अलग-अलग मनुष्य की अपनी अलग कमजोरियाँ होती है और संभव है की आपके शत्रु आपकी कमजोरी का फ़ायदा उठाकर आपको, आपके परिवार और मान-प्रतिष्ठा को धुमिल करने की कोशिश करें. ऐसे लोग आपकी तकलीफों, कमजोरियों, असफलताओं पर मन-ही-मन हँसते हैं. इसलिए हमारे लिए आवश्यक है की ऐसे किसी भी कमजोरी को दूसरों पर प्रकट न करें. उसे एक राज के रूप में ही रहने दे.

"विषहीन सर्प को भी बीच-बीच में फुफकारना चाहिए"
चाणक्य (कौटिल्य).

जब तक आपका रहस्य बना रहेगा तब तक लोगों का आपमें आकर्षण भी बना रहेगा. एक व्यापारी जब तक लाभ कमाता रहता है तब तक बाजार में उसकी साख बनी रहती है. एक बार जब लोगों को व्यापारी के नुकसान का भान होता है तब कोई भी मदद के लिए हाथ आगे नहीं बढ़ाता है. सगे-संबंधी भी किनारा कर लेते हैं.

"आपका खुश रहना ही आपके दुश्मनों के लिए सबसे बड़ी सजा है"
चाणक्य (कौटिल्य).

उपर्युक्त बातें केवल एक व्यापारी के लिए नहीं अपितु सभी वर्गों के लोगों के लिए कही गयी है. इसलिए कोशिश करें की आप अपनी कमजोरियों के गुलाम न हो जाएँ. समय के साथ-साथ जो अपनी कमजोरियों को सुधार लेता है वह जीवन में सफल होता है. अपनी मजबूरियों का हल आप स्वंय ढूंढे. किसी और की राह न देखें.

प्रत्येक परिस्थिति में स्वंय पर भरोसा रखे और मन को शांत रखने की चेष्टा करें. चिंताओं को अपने पास फटकने न दे. हमेशा प्रसन्न रहिये क्योंकि आपकी खुशी ही आपके दुश्मनों के लिए सबसे बड़ी सजा है.

Request to Readers:
कृपया आप अपने बहुमूल्य comments द्वारा GDMj3 blog की कमियों को दूर करने में हमारी मदद कीजिये. यदि आपके पास हिंदी में कोई भी ज्ञानवर्धक बातें, कहानियाँ अथवा जानकारियाँ हैं जो आप GDMj3 blog के पाठकों से  share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो सहित हमें E-mail करें जिसे हम आपके फोटो के साथ यहाँ प्रकाशित (Publish) करेंगे. हमारा Email ID है: pgirica@gmail.com
Thanks!!!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें