विचारणीय

गीता कहती है - संशयात्मा विनश्यति अर्थात् सदा संशय करनेवाला, दूसरों को संदेह की दृष्टि देखनेवाला, अविश्वासी एवं अनियंत्रित व्यक्ति क्षय को प्राप्त होता है।

सोमवार, 23 मार्च 2015

संतोषी सदा सुखी भवः




दोस्तों, पिछले एक वर्ष से मैं कुछ दोहे लिख रहा हूँ. उपर्युक्त दोहा उसी का एक हिस्सा है. इसी दोहे को आधार मानकर एक ज्ञानवर्धक कहानी आपलोगों से साझा करने जा रहा हूँ.

केरल के एक गाँव में मोची का एक परिवार रहता था. मोची का नाम राजू था. वह बहुत ही खुबसूरत जूते तैयार करता था. रोज वह केवल दो जोड़ी जूते तैयार कर उन्हें शहर में बेच आता था.
एक दिन गाँव में एक व्यापारी आया. उनकी नजर राजू के जूतों पर पड़ी. उसे जूते बहुत पसंद आये.

व्यापारी (राजू से) – तुम रोज कितना कमा लेते हो ?

राजू – सेठ जी, दो जोड़ी के सौ रुपये रोज कमा लेता हूँ.

व्यापारी (आश्चर्य से) – क्या इतने में तुम्हारे परिवार का गुजारा आसानी से हो जाता है ?

राजू – जी हाँ सेठ जी, इससे मेरे परिवार की मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है.

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व्यापारी – राजू तुम बहुत ही खुबसूरत जूते बनाते हो. तुम कुछ और जूते तैयार कर बेच सकते हो. इससे तुम्हारी आमदनी भी बढ़ेगी. अच्छा ये बताओ तुम अपने बचे हुए समय में क्या करते हो ?

राजू – मैं सुबह देर तक सोता हूँ. उसके बाद जूते तैयार कर बेच आता हूँ. वापस आकर अपने बच्चों के साथ कुछ समय खेलता हूँ और पत्नी के साथ समय बिताता हूँ. शाम के वक्त गाँव में घूम कर चाय की चुस्कियां लेते हुए लोगों से गप्प लड़ाता हूँ. रात होते ही घर चला आता हूँ और भोजन कर जल्दी सो जाता हूँ. इस तरह पूरे दिन मैं व्यस्त रहता हूँ.

व्यापारी – मेरी मानों तो तुम कुछ और अधिक जोड़ी जूते तैयार करना शुरू कर दो. इससे तुम्हारी आमदनी बढ़ेगी. कुछ वर्षों बाद तुम शहर में अपना खुद का दुकान खोल लेना. इससे तुम्हारी आमदनी और अधिक हो जाएगी. इस बीच कुछ और कारीगरों को तैयार कर लेना ताकि अधिक जूते तैयार कर सको. कुछ वर्षों बाद तुम अन्य शहरों में भी अपनी दुकानें खोल लेना. इस तरह कुछ ही वर्षों में तुम लखपति हो जाओगे. आगे चलकर अगर भाग्य का साथ रहा तो जल्द ही तुम्हें विदेशों से भी जूते की मांग की आपूर्ति का आदेश मिल सकता है. इस प्रकार कुछ और वर्षों में तुम करोड़पति बन जाओगे.

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राजू (आश्चर्य से) – परन्तु सेठ जी, ये सब होने में कितना समय लगेगा ?

व्यापारी – यही कोई 20-25 वर्ष.

राजू – और उसके बाद मैं क्या करूँगा ?

व्यापारी – इसके बाद तुम्हें काम करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. तुम काम से अवकाश (Retirement) प्राप्त कर अपने गाँव लौट आना. यहाँ तुम सुबह देर तक सोना. मन करे तो दो जोड़ी जूते तैयार कर शहर में बेच आना. अपने बच्चों से खेलना और अपनी पत्नी के साथ समय बिताना. शाम के वक्त गाँव में घूम कर चाय की चुस्कियाँ लेते हुए लोगों से गप्प लड़ाना. रात होते ही जल्दी से भोजन कर सो जाना और इस तरह तुम अपना शेष जीवन आरामपूर्वक बिता सकोगे.

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