विचारणीय

गीता कहती है - संशयात्मा विनश्यति अर्थात् सदा संशय करनेवाला, दूसरों को संदेह की दृष्टि देखनेवाला, अविश्वासी एवं अनियंत्रित व्यक्ति क्षय को प्राप्त होता है।

रविवार, 19 अप्रैल 2015

सबक

साधारणतया सबक का अर्थ शिक्षा अथवा सीख है. बचपन में जब बच्चे चलना सीखते हैं तब कहीं बार गिरते भी हैं परन्तु चलना नहीं छोड़ते और निरंतर अपनी गलतियों से सबक लेते हुए एक दिन अपने दोनों पैरों पर दौड़ने लगते हैं. ठीक उसी प्रकार हमें भी अपनी गलतियों पर निराश होने की बजाय उन गलतियों से सबक लेकर जीवन में आगे बढ़ना चाहिए.

सबक सीखने का अर्थ अपनी गलतियों को दोहराने से नहीं है. इसका अर्थ है कीये हुये गलतियों को जान ने के पश्चात् उसे दोबारा न दोहराना.

स्कूलों में मिली सीख भले ही हमें अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होने में सहायक सिद्ध हो परन्तु जिंदगी की पाठशाला से सबक सीखे बगैर जीवन में सफलता नहीं मिलेगी. हमारा घर-परिवार, समाज, दुनिया इत्यादी पाठशाला ही है जहाँ नित नया विषय हमें सीखने को मिलता है.

हमारा शत्रु अथवा प्रतिद्वंदी ही हमें जीवन की पाठशाला में समय-समय पर सबक सिखाता रहता  है. हमारा शत्रु ही हमारी सोयी हुई शक्तियों को जागृत कर हमें मेहनती बनाता है. इसलिए समय-समय पर कई महापुरुषों ने ‘अपने शत्रु से प्रेम करो’ का नारा दिया.

तुलसीदास जी ने अपनी पत्नी के कड़वे परन्तु जीवन की सच्चाई से रूबरू कराते सत्य वचनों से सीख लेकर रामायण जैसे महाकाव्य की रचना कर डाली. सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध से सबक लेकर शांति और अहिंसा का पथ अपनाया और इतिहास में अमर हो गए.

जिस तरह सोने को तपाने से वह शुद्ध हो जाता है, उसी प्रकार समस्याओं का सामना करने से उसका हल प्राप्त होता है. जीवन में ठोकर मिलने पर हमारी संकल्प-शक्ति को बल मिलता है और तब जाकर हम अपनी कर्मठता का डोर थामते हैं.
मनुष्य स्वभाव से सुस्त होता है. परन्तु जीवन का सबक हमारी सुस्ती को चुस्ती में बदल देता है. ये सबक हमें  जीना सिखाता है. इतिहास इस बात का साक्षी है.

थॉमस अलवा एडिसन ने बल्ब का अविष्कार किया था. परन्तु क्या आपको पाता है उन्होंने लगभग 100 बार से अधिक कोशिश की परन्तु प्रत्येक बार असफल होने के बावजूद निराश न होकर उससे सबक लेकर अपना प्रयत्न जारी रखा और अंततः हमारे घरों को रोशन कर दिया.

जीवन के अंत के पश्चात् लोग आपको इस बात के लिए याद नहीं करते कि आपने कितनी गलतियाँ की है बल्कि इसलिए कि आपने अपनी गलतियों से क्या सीखा और दुनिया को क्या सिखाया.

इस संसार में ऐसा कोई नहीं जो हमारी सहायता कर सकता है. अपनी गलतियों से सबक सीख कर हमें अपनी सहायता स्वंय करनी होगी.


ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होगा जिसे समस्याओं ने घेर न रखा हो. जीवन समस्याओं के जाल से बुना होता है. समस्याओं का हल तलासने की जगह अगर हम चिंता में डूब जाये तो इससे केवल हमारी शक्तियों का हनन होगा. चिंता हमें बिना आग के अन्दर-ही-अन्दर जलाती रहती है. इसलिए चिंता को छोड़ अपनी गलतियों से सबक लेकर अपनी शक्तियों को जागृत कर कदम आगे बढ़ाये, सफलता जरुर मिलेगी.


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