विचारणीय

गीता कहती है - संशयात्मा विनश्यति अर्थात् सदा संशय करनेवाला, दूसरों को संदेह की दृष्टि देखनेवाला, अविश्वासी एवं अनियंत्रित व्यक्ति क्षय को प्राप्त होता है।

शनिवार, 13 जून 2015

बदलाव ही जीवन है



दोस्तों, एक ओर हम कहते हैं की हमारे नेतागण सही काम नहीं कर रहें हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हीं अयोग्य और भ्रष्ट नेताओं को हम दुबारा चुनकर गलत काम के लिए पुनः अवसर प्रदान करते हैं और फिर अगले पाँच सालों तक उन्हें कोसते रहते हैं.

क्या ये सही है ?

क्या औरों को कोसने मात्र से समस्या का हल प्राप्त हो जायेगा ?

हम नित्य बदलाव के बारे में बहुत सी बातें करते हैं परन्तु आज भी हम बदलाव को अपनाने से डरते हैं. हम जहाँ बैठ जाते हैं वहीं पर बैठे रहना पसंद करते हैं. हम जो करते आ रहें हैं उसे यूहीं करते रहना पसंद करते हैं परन्तु उनमें कोई बदलाव अथवा नयापन नहीं चाहते और आवश्यक बदलाव को भी नकार देते हैं.

अगर कोई बात आपको पसंद न आये तो उसे बदलने की कोशिश करें. अगर आपको कोई स्थान पसन्द न आये तो उसे बदल लीजिये. अगर आपको नेता पसंद न आये तो उसकी बजाय नए यूवा नेताओं को जो योग्यता रखते हो, अवसर दे. अगर आपको पढ़ाई में मजा नहीं आ रहा है तो पढ़ाई के तरीके में बदलाव लाये जिससे पढ़ाई आपको रोचक लगें. इसमें अभिभावकों एवं शिक्षकों की अहम भूमिका है.

जिस प्रकार एक कपडे को पसंद न आने पर उसे उतार फेंकते हैं ठीक उसी प्रकार अगर कोई विचार आपको पसंद न आये तो उस पर चर्चा करें, जरुरी बदलाव लाने की कोशिश करें. आपकी कोशिश बदलाव की राह में मील का पत्थर साबित होगी.

बड़े से बदलाव की प्रतीक्षा में छोटे से बदलाव की अनदेखी न करें. हर छोटा सा बदलाव ही भविष्य के बड़े बदलाव का आधार बनता रहा है और आगे भी बनता रहेगा.

छोटे-छोटे से बदलाव को लाकर हम अपने विषय और नित कार्यों को रुचिकर बनाये रख सकते हैं. खाने में थोड़ा सा बदलाव ला कर भोजन का स्वाद बढ़ाया जा सकता है. आदत में थोडा बदलाव ला कर आस-पास के माहौल को खुशनुमा बनाया जा सकता है. सुबह थोड़े मिनटों की चहल-कदमी हमारे स्वास्थ्य की प्रगति में सहायक साबित हो सकती है. जंक फ़ूड की बजाय घर पर ही स्नैक्स बना ले तो स्वास्थ्य की दृष्टी से सही होगा और पैसों की भी बचत होगी.

बदलाव कहने का मतलब केवल अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए लिया गया निर्णय कतई नहीं होना चाहिए. समय की माँग और सदउद्देश्य से लिया गया निर्णय और उनसे होने वाले बदलाव को खुले दिल से अपनाने में ही व्यक्ति, परिवार, समाज, देश और संसार की भलाई निहित है.

दोस्तों, बदलाव को खुले दिल से अपने दोनों बाहों को फैलाकर अपनाओं क्योंकि –

बदलाव ही जीवन है.


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धन्यवाद् ... ... !!!

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