विचारणीय

गीता कहती है - संशयात्मा विनश्यति अर्थात् सदा संशय करनेवाला, दूसरों को संदेह की दृष्टि देखनेवाला, अविश्वासी एवं अनियंत्रित व्यक्ति क्षय को प्राप्त होता है।

मंगलवार, 16 जून 2015

जीवन का एच-टू-ओ


यदि आप विज्ञान के छात्र हैं, तो एच-टू-ओ (H2O) से भली-भांति परिचित होंगे. यह पानी का रासायनिक सूत्र यानी फ़ॉर्मूला है.

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि जल ही जीवन है और यह सभी जीवों के लिए अति-आवश्यक है. जल के बिना शायद ही ऐसा कोई जीव हो सकता जो जीवित रह सकता है. इस बात से इतना तो हम समझ ही गए हैं कि हमारे जीवन में जल कि क्या महत्ता है.

दोस्तों, ठीक ऐसा ही एक और H2O है जिसकी जानकारी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. वह है -


Health-Happiness-Optimism
यानि
स्वास्थ्य-प्रसन्नता-आशावाद

ये तीन बातें हम सबमें जरुर होनी चाहिए. 
Health - स्वास्थ्य:
बचपन में हमने कहीं पुस्तकों में पढ़ रखा है कि स्वास्थ्य का हमारे जीवन से काफी गहरा नाता है. हमारे पूर्वजों ने ‘स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है’ का नारा दिया था. योग इसी की एक कड़ी है. परन्तु इस बात से थोड़े ही लोग इत्तिफाक रखते हैं. आज की इस भाग-दौड़ से भरी जिंदगी में जैसे स्वास्थ्य का विषय कहीं पीछे छूट सा गया है. जीवन में यदि लम्बी रेस का घोड़ा बनना हो तो स्वास्थ्य पर खासा ध्यान आवश्यक है.

Happiness - प्रसन्नता:
सदियों से हमारे ऋषि-मुनियों, सिद्ध पुरुषों ने प्रसन्नता को प्राप्त करने के अलग-अलग उपाय सुझाये हैं. प्रसन्न चित व्यक्ति किसी भी मुश्किल का सामना आसानी से कर सकता है. महात्मा बुद्ध की मुख मंडली पर नित प्रसन्नता को छलकता देख एक शिष्य के मन में जिज्ञासा उत्पन्न होती है और इसके निवारण के लिए वह बुद्ध से प्रार्थना करता है कि उसे प्रसन्नता को प्राप्त करने का मार्ग दिखाये. इस पर महात्मा बुद्ध कहते हैं, “प्रसन्नता को प्राप्त करने का कोई उपाय नहीं है अपितु प्रसन्नता स्वंय एक मार्ग है.” आज के लोगों में और वो भी खास कर युवाओं में प्रसन्नता का जबरदस्त अभाव देखने को मिल रहा है. उनके चेहरों पर जैसे एक मुर्दानगी सी छाई रहती है. वे फेसबुक, व्हाट्स अप में ही जैसे जी रहे हैं और उसी में प्रसन्नता को प्राप्त करने की कोशिश में लगे हुए हैं.

Optimism - आशावाद:
धैर्य और आशावाद में गहरा नाता है. एक धैर्यवान व्यक्ति ही आशावादी हो सकता है. वहीं दूसरी ओर एक आशावादी व्यक्ति हमेशा धैर्य का दामन थामे रहता है. परन्तु आज का युवा वर्ग इन गुणों से वंचित होता जा रहा है. उनमें धैर्य की कमी है जिसके कारण उनकी सोच नकारात्मक होती जा रही है. वे मेहनत के बगैर फल की आशा करते हैं और अगर अनुकूल फल प्राप्त न हुआ तो निराशावादी बन जाते हैं. आगे चलकर कोई गलत कदम उठाने से भी वे नहीं हिचकिचाते.

इसके लिए जरुरी है कि हम इन तीनों चीजों के लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण करें. यह किसी व्यक्ति विशेष की जिम्मेदारी नहीं है. परिवार, समाज से लेकर प्रशासन तक सभी की यह जिम्मेदारी है. और सबसे बढ़कर स्वंय व्यक्ति विशेष की.

घर पर माता-पिता की जिम्मेदारी बनती है की वे अपने बच्चों के स्वास्थ्य की सही देख-रेख करें और स्वास्थ्य से जुडी बातों से अवगत कराएँ. उनके साथ समय बिताये. उनकी छोटी-छोटी खुशियों में शामिल होकर उनका उत्साह बढ़ाये. उनमें आशा का दीपक जलायें. पंचतंत्र की कथायें अपने बच्चों को जरुर सुनाएँ.

स्कूल में शिक्षकों की जिम्मेदारी बनती है कि वो बच्चों में केवल किताबी ज्ञान न भरकर जीवन की वास्तविकताओं से परिचित कराएँ. खेल-कूद को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करें इससे वातावरण में खुशनुमा माहौल बना रहता है. बच्चों को दुनियाँ की महान हस्तियों के धैर्य और साहस से भरे जीवन चरित्र से परिचित कराएँ.

समाज की जिम्मेदारी बनती है कि वो स्वास्थ्य से जुडी बातों पर अमल करें. रिश्तों और खुशियों को पैसों से तोलने की बजाय मेहनत और ईमानदारी का सम्मान करें ताकि हमारी आने वाली नस्ल को एक जागरूक समाज मिलें.

प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है की वो इस बात का समय-समय पर आँकलन करें की लोग स्वास्थ्य से जुडी बातों पर अमल कर रहे हैं या नहीं. स्वास्थ्य के नियम-कानूनों के प्रति जागरूकता फैलाये. स्वास्थ्य संस्थानों का माहौल सुधारें. खिलाड़ियों को उचित माहौल और आवश्यक सामग्रियाँ मोहैया कराएँ और उनको लगातार अपना प्रोत्साहन प्रदान करें.

स्वास्थ्य, प्रसन्नता एवं आशावाद, ये तीन बातें हम सबमें होनी चाहिए और खास तौर पर युवाओं में तो जरूर होनी चाहिए.

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