विचारणीय

गीता कहती है - संशयात्मा विनश्यति अर्थात् सदा संशय करनेवाला, दूसरों को संदेह की दृष्टि देखनेवाला, अविश्वासी एवं अनियंत्रित व्यक्ति क्षय को प्राप्त होता है।

बुधवार, 13 जनवरी 2016

मकर संक्रांति - पतंगों का त्यौहार The festival of Kites

सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश को ही संक्रांति कहते हैं। हर दो संक्रांतियों के बीच एक महीने की अवधि का अंतर होता है जिसे साल के अलग-अलग महीनों में बाँटा गया है जिनमें मेष, कर्क, तुला और मकर को प्रमुख माना गया है।

मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है अर्थात् इस दौरन सूर्य दक्षिण के बजाय उत्तर को गमन करने लगता है तब उसकी किरणों का प्रभाव सेहत और शांति की दृष्टि से शुभ माना गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी मकर संक्रांति के दौरान सूर्य के उत्तरायण में गमन करने से होने वाले लाभ का वर्णन श्रीमद् भगवत् गीता में किया है।

मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर स्नान, दान व पुण्य का विशेष महत्व है। इस अवसर पर गुड़ व चना लेकर नदी में स्नान करना लाभकारी बताया गया है।

मकर संक्रांति पूरे भारतवर्ष में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस त्योहार विशेषता है पतंगबाजी जो इस त्योहार का प्रयाय् सा बन चुका है।

सभी का प्यारा पतंग त्योहार नजदीक है जिसके लिए रंग-बिरंगे पतंग तैयार हो रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि पतंग उड़ाने की परंपरा चीन में शुरू हुई थी जबकि भारत में रामायण काल से ही पतंग उड़ाये जाने की बात का पता चलता है।

पतंग का जीवन भले ही अल्प काल का हो परंतु हम सबको सम्पूर्ण जीवन अपनी नजरें ऊपर उठाकर सम्मानपूर्वक जीवन जीने की शिक्षा देती है।

अब मैं आपको पतंबाजी से जुड़े कुछ रोचक मान्यताओं के बारे में बताना चाहूँगा -

# भारत में पतंगबाजी का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। तुलसीदासजी ने भी रामचरित मानस में पतंग का वर्णन करते हुए लिखा था - "राम इक दिन चंग उड़ाई, इंद्रलोक में पहुँची जाई।"

# गुजरात का अहमदाबाद पतंगबाजी के लिए विश्वप्रसिद्ध है। यहाँ हज़ारों की संख्या में लोग देश-विदेश से प्रतिवर्ष 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित अंतराष्ट्रीय पतंग महोत्सव का लुत्फ लेने आते हैं।

# भारत के अन्य राज्यों में भी परंपरा अनुसार यह उत्सव बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दौरान पूरा आसमान जैसे एक रंग-बिरंगी छतरी के नीचे आ गया सा प्रतीत होता है। भारतीय पतंगों को विदेश में लड़ाकू पतंग के नाम से जाना जाता है।

# मुगल काल में बादशाह व शहजादे भी पतंगों के पेंच लड़ाने की प्रतियोगिता का आयोजन करते और उसमें हिस्सा भी लेते थे।

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# लाहौर (पाकिस्तान) में भी पतंगबाजी का खेल बड़े उत्साह के साथ खेलते हैं।

# हैदराबाद (भारत) में पतंगबाजी का यह खेल निजाम के काल से खेला जा रहा है जिसमें स्वयं निजाम भी हिस्सा लेते थे।

# अधिकतर इतिहासकारों की माने तो पतंगों का अविष्कार चीन में हुआ था। चीन में पतंगबाजी का इतिहास 2000 हजार वर्ष पुराना है। चीन में प्रति वर्ष 9 सितंबर को पतंग उत्सव मनाया जाता है जिसमें लोगों का उत्साह देखते ही बनता है।

# कुछ अन्य इतिहासकारों का मानना है कि पतंगबाजी फारस की देन हैं वहीँ ग्रीक इतिहासकार इसे 2500 वर्ष पुराना मानते हैं।

# जापान में प्रति वर्ष मई के महीने में पतंगबाजी की प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती है। जापान में रोकाकू पतंग की भव्यता सबको मंत्रमुग्ध कर देती है।

# इसके अलावा अमेरिका, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, चिली, इटली, मलेशिया, इंडोनेशिया में भी पतंग उत्सव का भव्य समारोह आयोजित किया जाता है ।

हर जगह समय की सहूलियत व विशेष दृष्टि से पतंगबाजी के लिए विशेष समय निर्धारित की गयी है जिससे भिन्न-भिन्न देशों से आये लोग भाग ले सके। सभी के अपने तौर-तरीके है परंतु सबका एकमात्र उद्देश्य है आपसी भाईचारा और प्रेम को बढ़ाना।

दोस्तों, आप सबको मेरी ओर से मकर संक्रांति एवं पतंग महोत्सव की ढेरों शुभकामनायें।

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