विचारणीय

गीता कहती है - संशयात्मा विनश्यति अर्थात् सदा संशय करनेवाला, दूसरों को संदेह की दृष्टि देखनेवाला, अविश्वासी एवं अनियंत्रित व्यक्ति क्षय को प्राप्त होता है।

शुक्रवार, 15 मई 2015

दिमाग को तंदुरुस्त और उर्जावान बनाने के 10 उपाय


दोस्तों, मैं जब दुलियाजान (असम) में इंटरमीडिएट (10+2) की पढ़ाई कर रहा था उस वक्त हमारे Economics के शिक्षक थे कोंदर्व सर. वे जब भी किसी छात्र से मिलते तो उन्हें उनके नाम से पुकारते थे. कहीं वर्षो पश्चात् जब मैं उनसे मिला तो उन्होंने हमें हमारे नाम से पुकारा. हमेशा की तरह हमने उनके चेहरे पर उत्साह को महसूस किया. उनकी याददास्त सराहनीय थी. ऐसे व्यक्ति को मानसिक रूप से स्वस्थ अथवा तंदुरुस्त कहना गलत न होगा.
मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति जीवन को अधिक उत्साह और परिपूर्णता के साथ जीता है फिर चाहे वो उम्र के किसी भी पड़ाव पर क्यों न हो. एक अच्छी याददास्त वाला व्यक्ति कहीं पर भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बनता है.
आज हम आपसे दिमाग को तंदुरुस्त और उर्जावान बनाये रखने के 10 उपायों का संछिप्त वर्णन साझा करने जा रहे हैं.
1. अधिक मानसिक कसरत करें
स्वस्थ शरीर के लिए कसरत जरुरी है. ठीक उसी प्रकार हमारे मस्तिष्क को स्वस्थ और उर्जावान बनाने के लिए  भी कसरत जरुरी है. प्रतिदिन आप दिनचर्या के कामों में अपने दिमाग का भरपूर इस्तेमाल करें. अच्छी किताबें, ज्ञानवर्धक कहानियाँ अथवा newspaper पढ़ना, छोटे-छोटे गणित के सवालों को calculator के बिना हल करना, विडियो गेम्स अथवा puzzle गेम्स खेलना, पहेलियों को हल करना, newspaper के crosswords हल करना, तास के पत्तों का खेल इत्यादी आपके दिमाग को उर्जावान बनाने का सरलतम उपाय है. ये सारी चीजें आज इन्टरनेट पर आसानी से उपलब्ध हैं.
2. शारीरिक कसरत भी करें
शारीरिक कसरत करने से दिमाग को भरपूर मात्र में ऑक्सीजन प्राप्त होता है. इसलिए प्रतिदिन कुछ समय के लिए ही सही कसरत आवश्यक है. जरुरी नहीं है कि अधिक कष्टदायक कसरत करें. हलका कसरत भी लाभदायक सिद्ध हुआ है. योग करना, बागवानी करना, टहलना, दौड़ना, तैरना, नृत्य करना, खेलना, साइकिल चलाना इत्यादी उम्र के अनुरूप लोगों के लिए अच्छी कसरत है. सच ही कहा है, ‘स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है.’
3. मस्तिष्क को चुनौती देना
समय-समय पर हमें अपने मस्तिष्क से चुनौतीपूर्ण कार्य लेने चाहिए. नित्यकर्मो से हटकर किसी भी नयी वस्तु का ज्ञान अथवा नयी बातें सीखना एक प्रकार से मस्तिष्क के लिए चुनौती भरा विषय होता है. इससे हमारे मस्तिष्क की कोशिकाओं में ऊर्जा का विस्तार होता है. इसलिए हमेशा कुछ-न-कुछ नया सीखने की कोशिश करते रहें. संगीत, भाषा, खाना बनाना, चित्रकारिता, फोटोग्राफी, टाइपिंग, ब्लॉगिंग सीखना इत्यादी मस्तिष्क से जुड़े कसरत करने से हमारा मस्तिष्क तेज होता है और मन प्रसन्न रहता है.
4. स्वस्थ आहार ग्रहण करें
हमारे द्वारा ग्रहण किये हुए आहार और मस्तिष्क की क्रिया में गहरा सम्बन्ध है. स्वच्छ आहार से मस्तिष्क की क्रियाशीलता बढ़ती है. एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर आहार का सेवन करने से हमारी याददास्त दुरुस्त होती है और ध्यान केन्द्रित करने में मदद मिलती है.
सुबह का नाश्ता दिन का सबसे उत्तम आहार होता है. यह आपको दिन भर स्पूर्ति प्रदान करता है.
भोजन को हमेशा पका कर खाएँ. थोड़ी मात्रा में चावल का सेवन दिल के लिए अच्छा माना गया है. सालमन मछली को मस्तिष्क का उत्तम आहार कहा गया है. इसके अलावा हरी सब्जियां और फलों का सेवन मस्तिष्क के विकास के लिए अच्छा है. अपने आहार में ओलिव ऑइल और प्याज को जरुर शामिल करें. यह रक्त के लिए लाभदायक है.
विटामिन - B, C, E से भरपूर पदार्थों का सेवन करें.
5. अन्य सेवन पदार्थ
१. ओमेगा-3 को मस्तिष्क का उत्तम पोशक तत्व कहना गलत न होगा. यह डिप्रेशन को दूर भगाता है.
२. ग्रीन टी एंटीऑक्सीडेंट से युक्त होता है जो मस्तिष्क को बल देता है.
३. पानी भरपूर मात्रा में पीया करें. यह दिमाग में ऑक्सीजन की पूर्ति करता है.
४. अंगूर की गुठलियों का सेवन दिमागी कैंसर से हमारी रक्षा करता है.
6. इनका उपभोग सीमित होना चाहिए
कुछ खाद्य पदार्थ रूचि की दृष्टी से भले ही अच्छी लगे परन्तु शारीरिक व मानसिक दृष्टी से हानिकारक साबित होते हैं. वहीं कुछ चीजों का सीमित उपभोग ही मस्तिष्क के लिए ठीक है. जंक फ़ूड अथवा फ़ास्ट फ़ूड जिसमें घुलनशील वसा की मात्रा अधिक होती है, हमारे मस्तिष्क के लिए घातक है. एक आम का टुकड़ा Maaza के एक गिलास प्रोसेस्ड जूस से कहीं अधिक लाभदायक है. हम अपने आहार में शक्कर, तेल, शराब, कैफीन एवं भारी धातु निहीत पदार्थो का सेवन जितना कम करेंगे, हमारा मस्तिष्क उतना ही अधिक क्रियाशील रहेगा.
7. सुरक्षित रहें
अपने दिमाग को बाहरी खतरों से सुरक्षित रखें. यात्रा में जाते समय, कार्य को करते समय, खेलते समय या वाहन चलाते समय सिर को सुरक्षित रखने हेतू आवश्यक सारे कदम जरुर उठाएँ. इसमें कोई नरमी न बरते. जैसे – वाहन चलाते वक्त हेलमेट जरुर पहने, सीट बेल्ट बांधे, रफ़्तार धीमी रखें और खास बात शराब पीकर वाहन न चलाये.
धुम्रपान, शराब एवं अन्य नशीले पदार्थों का सेवन किसी भी दृष्टी से मस्तिष्क के लिए लाभदायक नहीं है. यह मस्तिष्क में ऑक्सीजन की मात्रा को घटा देता है जबकि स्वस्थ मस्तिष्क के लिए यह अतिआवश्यक है.
सिर को अत्यधिक गर्मी और अत्यधिक ठण्ड दोनों से बचाए रखें.
8. थकावट को कम अथवा दूर करें
शरीर की थकावट का मस्तिष्क की क्रियाशीलता से गहरा सम्बन्ध है.
अपनी भावनाओं से जुड़े रहिये. अपनी भावनाओं जैसे रोना, हँसाना, क्रोधित होना इत्यादी पर नियंत्रण आवश्यक है.
नींद की प्रयाप्त मात्रा थकावट का रामबाण इलाज है. इसके अलावा गरम पानी से स्नान करने से थकावट दूर होती है. ध्यान (Meditation) लगाने से, मुस्कुराने से, खेलने से, कसरत करने से अथवा अच्छी पुस्तक को पढ़ने से भी थकावट कम हो जाता है.
9. अपनी इन्द्रियों को जागृत एवं उत्साहित करें
इन्द्रियों पर नियंत्रण कठिन परन्तु असंभव नहीं है. हमारी इन्द्रियाँ मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होती हैं. इन्द्रियों पर नियंत्रण का अर्थ है अपने मस्तिष्क पर नियंत्रण. अच्छी पुस्तक पढ़ने से, मसाज करवाने से, बागवानी करने से, स्वच्छ सम्भोग करने से, कोई नया भोजन खाने से अथवा शिल्पकारी करने से हमारी इन्द्रियों पर हमारा नियंत्रण बढ़ता है जिससे इन्हें उत्साहित करने में हमें आसानी होती है.
10. सामाजिक बने
सामाजिक कार्यों में पूर्ण रूप से संलग्न व्यक्ति से थकावट दूर भाग जाती है. इसलिए खुद को समाज से जोड़ें. अपनी जिज्ञासाओं को साझा करें. लोगों की राय लें. उन्हें अपने कार्य का हिस्सा बनायें और स्वंय भी उनके कार्यों का हिस्सा बनें. इ-मेल, फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप इत्यादि सामाजिक जाल बुनने का अच्छा विकल्प है जो आज काफी प्रचलित हो चला है.
इसके अलावा खत लिखकर, फोन द्वारा, क्लब की सदस्यता लेकर अथवा कुकिंग क्लास में ज्वाइन होकर हम अपने सामाजिक परिवेश के दायरे को बड़ा सकते हैं. इन क्रियाकलापों द्वारा हम अपनी समस्याओं का हल भी ढूंड सकते हैं और वही दूसरों की मदद भी कर सकते हैं. इससे समाज में हमारी भूमिका भी बढ़ेगी.

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