पंचतंत्र की कहानियाँ भारतवर्ष की सबसे रोचक
कहानियों में से एक है जिसे हर उम्र के लोगों को पढ़ना चाहिए. यह केवल कहानियाँ न
होकर ज्ञान का बंडार है जिसे पंडित विष्णुशर्मा ने महिलारोप्य राज्य के राजा के
पुत्रों को शिक्षित करने के उद्देश्य से तैयार किया था. आज सारा विश्व इससे
लाभान्वित हो रहा है.
दोस्तों, आज हम आप सबसे पंचतंत्र की एक कहानी share
करने जा रहे हैं.
भरुंडा नाम का एक विशाल पंछी तालाब किनारे रहता था.
उसका शरीर एक परन्तु सिर दो था.
एक दिन हमेशा की भांति भरुंडा तालाब के किनारे टहल
रहा था. अचानक उसे एक फल पड़ा हुआ नजर आया जो दिखने में काफी स्वादिष्ट महसूस हुआ.
एक सिर ने कहा, “क्या स्वादिष्ट फल है! इसे स्वर्ग
से मेरे लिए ही भेजा गया है. मैं बहुत भाग्यशाली हूँ.”
यह सुनकर दूसरे सिर ने कहा, “मेरे भाई, जरा मुझे भी
उस फल को चखने दो जिसे तुम इतना स्वादिष्ट कह रहे हो.”
पहला सिर (हँसते हुए) – हम दोनों का एक ही पेट है. अब
चाहे तुम खाओ या मैं, कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इसे मैं हमारी प्रिया को देंगे. वह
बहुत खुश होगी.”
ऐसा कहकर पहले सिर ने वह फल अपनी पत्नी को दे दिया.
पहले सिर के इस व्यवहार ने दूसरे सिर को काफी आहत पहुँचाया.
अगले दिन दूसरे सिर को एक जहरीला फल पड़ा हुआ मिला.
तब उसने पहले सिर से कहा, “कल तुमने मेरे साथ अच्छा नहीं किया. इसलिए तुम्हारे
किये की सजा के रूप में मैं इस जहरीले फल खो खाने जा रहा हूँ. यही मेरा तुमसे बदला
होगा.”
पहले सिर ने कहा, “अरे मूर्ख, अगर तुम वह फल खाओगे
तो हम दोनों मारे जाएँगे क्योंकि हम दोनों का शरीर एक ही है.”
पहले सिर की चेतावनी को अनसुना कर, दूसरे सिर ने वह
जहरीला फल खा लिया और इस तरह दोनों की मृत्यु हो गयी.
सीख: दूसरों के साथ अच्छी वस्तुओं को बाँटना हमेशा शुभ होता
है.
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धन्यवाद् ... ... !!!
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