दोस्तों, जब कभी हम T.V. पर समाचार सुनते हैं अथवा अखबार पढ़ते हैं तब बिना देर किये देश में चल रहे क्रिया-कलापों की बिना सही जानकारी के टीका-टिप्पड़ियाँ करने लगते हैं, परन्तु इस बीच हम ये भूल जाते हैं की हम भी इसी देश के वासी हैं और देश की वर्तमान परिस्थिति के लिए हम भी उतने ही जिम्मेदार हैं.
जरूर पढ़े - 'अबला बनी सबला'
दूसरे मुल्कों की हजामत हम बाद में करेंगे. परन्तु पहले अपने मुल्क की दशा पर थोड़ा विचार करते है क्योंकि जिसके खुद के घर शीशे के बने होते है उन्हें दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए.
आज़ादी, सोचो तो बहुत कुछ, न सोचो तो कुछ भी नहीं. आज भारत को आज़ादी मिले छह दसक से भी अधिक समय गुजर चुका है पर लगता है समय गुजरने के साथ-साथ आज़ादी का अर्थ भी जैसे बदल सा गया है.
आज ये शब्द हर किसी के लिए एक पहेली मात्र बन कर रह गयी है. आज के इस तेज भाग-दौड़ भरी जीवनसैली में एक ओर जहाँ हम हमारे अपनों के लिए समय दे पाने में असमर्थता महसूस कर रहे हैं, वहाँ दूसरों द्वारा प्रकट किये विचारों के बारे में सोचने का वक्त आखिर है कहाँ.
जरूर पढ़ें - 'इंटरनेट और वृद्धावस्था' Internet and Oldage
अगर हम भारत के संविधान की बात करें तो उसमें आज़ादी के विषय में काफी कुछ वर्णित है. एक ओर हम आज़ादी की वर्षगाँठ मानते हैं वहीं दूसरी ओर समाज में आये दिन लूट-पाट, हत्या, दंगे, बलात्कार जैसी घटनायें बढ़ती जा रही है. शायद यह भी एक आज़ादी ही है जो हमने और हमारे समाज ने उन लोगों को दे रखा है जो ‘जिसकी लाठी उसी की भैंस’ की विचारधारा पर जीते चले आ रहें हैं. प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से हम सब उनका साथ देते आ रहे हैं.
हम आज भी दोहरी नीति पर जी रहे हैं. एक ओर हम महिला सशक्तिकरण की बात करतें हैं वहीं दूसरी ओर उनके विचारों को घर, कार्यालय, जाति,समाज इत्यादी में पुरुषों के विचारों के मध्य पिस दिया जाता है.
हम आज भी दोहरी नीति पर जी रहे हैं. एक ओर हम महिला सशक्तिकरण की बात करतें हैं वहीं दूसरी ओर उनके विचारों को घर, कार्यालय, जाति,समाज इत्यादी में पुरुषों के विचारों के मध्य पिस दिया जाता है.
आज़ादी ! आखिर ये है किस चिड़िया का नाम ?
क्या केवल शारीरिक तौर पर दी गयी छूट ही आज़ादी है ?
क्या मानसिक आज़ादी इसके दायरे में नहीं आती है ?
अगर हमें अपने घर, समाज, देश की उन्नति सही मायने में करनी हो तो पहले अपने आस-पास जिन महिलाओं से आप घिरे हुए हैं उनका और उनके विचारों का सम्मान करें और उन्हें बराबर का हख दें.
एक बार हमें पुनः विचार करना पड़ेगा कि आज़ादी का सही मायने में आखिर अर्थ क्या है ?
Request to Readers:
कृपया आप अपने
बहुमूल्य सुझावों द्वारा GDMj3
blog की कमियों को दूर करने में हमारी मदद कीजिये. यदि आपके पास
हिंदी में कोई भी ज्ञानवर्धक बातें, कहानियाँ
अथवा जानकारियाँ हैं जो आप GDMj3
blog के पाठकों से share
करना
चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो सहित हमें E-mail
करें
जिसे हम आपके फोटो के साथ यहाँ प्रकाशित (Publish)
करेंगे.
हमारा Email
ID है: pgirica@gmail.com
Thanks ! ! !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें